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![]() ![]() जब मनुष्य सीखना बन्द कर देता है तभी वह बूढ़ा होने लगता है बुढ़ापा मनुष्य के चेहरे पर उतनी झुरियाँ नहीं जितनी उसके मन पर डाल देता है अनुभव से बुद्धिमत्ता और कष्ट से अनुभव प्राप्त होता है बुद्धिमान दूसरों की लेकिन मूर्ख अपनी हानि से सीखता है जिसे सहन करना कठिन था उसे याद कर बड़ा सुख मिलता है सुख दुर्लभ है इसीलिए उसे पाकर बड़ा आनन्द आता है भाग्य विपरीत हो तो शहद चाटने से भी दांत टूट जाते हैं जब शेर पिंजरे में बन्द हो तो कुत्ते भी उसे नीचा दिखाते हैं... Read more |
![]() ![]() कोरोना काल में यदि नया साल मनाना हो जरूरी तो तय कर लो एक निश्चित दूरी कहीं अगर बीच में कोरोनो आ धमकेगा तो सारी मौज-मस्ती पर पानी फेर देगा इसलिए क्षण भर की खुशी के चक्कर में खतरे न लो मोल क्योंकि जीवन है अनमोल बस हैप्पी न्यू ईयर बोल बस हैप्पी न्यू ईयर बोल... Read more |
![]() ![]() भारत में किसान प्रतिरोध की परंपरा बड़ी जीवन्त रही है। बंगाल में हुए कैवर्थ विद्रोह से लेकर मुगलिया सल्तनत के विरुद्ध सिक्खों, जाटों और सतनामी कृषकों के असंतोष ने भारतीय मानस पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। ब्रिटिश औनिवेशिक सत्ता की स्थापना के उपरांत उनकी भू राजस्व नीतियों के विरुद्ध बिरसा मुंडा, सिद्धू कान्हु, बाबा रामचन्द्र देव और महात्मा गांधी – पटेल की अगुआई में किसानों ने अपने हक – हकुकी की लड़ाई को आगे बढ़ाया। 1960-70 के दशक में भारत के कुछ क्षेत्रों में कृषि उत्पादन में आई क्रांति ने किसानों को आने वाले दशकों में बाज़ार की शक्तियों के मोहताज कर दिया... Read more |
![]() ![]() जब-जब भी मैं तेरे पास आया तू अक्सर मिली मुझे छत के एक कोने में चटाई या फिर कुर्सी में बैठी बडे़ आराम से हुक्का गुड़गुड़ाते हुए तेरे हुक्के की गुड़गुड़ाहट सुन मैं दबे पांव सीढ़ियां चढ़कर तुझे चौंकाने तेरे पास पहुंचना चाहता उससे पहले ही तू उल्टा मुझे छक्का देती ... Read more |
![]() ![]() जाने कैसे मर-मर कर कुछ लोग जी लेते हैं दुःख में भी खुश रहना सीख लिया करते हैं मैंने देखा है किसी को दुःख में भी मुस्कुराते हुए और किसी का करहा-करहा कर दम निकलते हुए संसार में इंसान अकेला ही आता और जाता है अपने हिस्से का लिखा दुःख खुद ही भोगता है ठोकरें इंसान को मजबूत होना सिखाती है मुफलिसी इंसान को दर-दर भटकाती है... Read more |
![]() सभी पाठकों और शुभ चिंतकों को दीपावली की बधाई और शुभकामनायें |... Read more |
![]() जानिए जौनपुर में तुग़लक़ , शर्क़ी और मुग़ल काल की खानकाहों के बारे में | ... Read more |
![]() जी हाँ मेरे जीने का अंदाज़ अक्सर कुछ लोगों को अलग सा लग तो सकता है... Read more |
![]() ![]() शत्रु की मुस्कुराहट से मित्र की तनी हुई भौंहे अच्छी होती है मूर्ख के साथ लड़ाई करने से उसकी चापलूसी भली होती है किसी कानून से अधिक उसके उल्लंघनकर्ता मिलते हैं ऊँचे पेड़ छायादार अधिक लेकिन फलदार कम रहते हैं पत्थर खुद भोथरा हो फिर भी छुरी को तेज करता है मरियल घोड़ा भी हट्टे-कट्टे बैल से तेज दौड़ सकता है पोला बांस बहुत अधिक आवाज करता है जो जिधर झुकता है वह उधर ही गिरता है आरम्भ के साथ उसका अंत भी चलता है तिल-तिल जीने वाला हर दिन मरता है ... कविता रावत ... Read more |
![]() कामयाब न्यूज़ पोर्टल कैसे बनाएं ? How to run NEWS Portal Successfully?... Read more |
![]() ![]() राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने कहा था 'अखिल भारत के परस्पर व्यवहार के लिए ऐसी भाषा की आवश्यकता है जिसे जनता का अधिकतम भाग पहले से ही जानता-समझता है, हिन्दी इस दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ है।' 'हृदय की कोई भाषा नहीं है, हृदय-हृदय से बातचीत करता है और हिन्दी हृदय की भाषा है।' भारत की आज़ादी और गाँधी जी के इंतकाल के कई दशक बीत गए लेकिन आज भी हिन्दी को न सम्मान मिल सका न बापू की बात को कोई महत्व दिया गया। हिन्दी, हिन्दी भाषियों और देश पर जैसे एक मेहरबानी की गई और हिन्दी को महज़ राजभाषा बना दिया गया। बापू ने कहा था 'राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूँगा है।' सचमुच हमारा राष... Read more |
![]() ![]() राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने कहा था 'अखिल भारत के परस्पर व्यवहार के लिए ऐसी भाषा की आवश्यकता है जिसे जनता का अधिकतम भाग पहले से ही जानता-समझता है, हिन्दी इस दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ है।' 'हृदय की कोई भाषा नहीं है, हृदय-हृदय से बातचीत करता है और हिन्दी हृदय की भाषा है।' भारत की आज़ादी और गाँधी जी के इंतकाल के कई दशक बीत गए लेकिन आज भी हिन्दी को न सम्मान मिल सका न बापू की बात को कोई महत्व दिया गया। हिन्दी, हिन्दी भाषियों और देश पर जैसे एक मेहरबानी की गई और हिन्दी को महज़ राजभाषा बना दिया गया। बापू ने कहा था 'राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूँगा है।' सचमुच हमारा राष... Read more |
![]() इमाम हुसैन की शहादत को नमन करते हुए हमारी ओर से श्रद्धांजलि | एस एम् मासूम ... Read more |
![]() ![]() फ़िर एक बार असहमति के स्वर सुनाई देने लगे हैं | यह दीगर बात है कि कोरोना महामारी के चलते मुस्लिम मुल्ला मौलवियों का एक वर्ग जरूर बकरीद पर अपने समाज से सरकार को सहयोग करने की अपील कर रहा है | लेकिन उन लोगों की संख्या कम नही जिन्हें कोरोना या दूसरे समाज की भावनाओं की जरा भी परवाह नही | उन्हें तो बस धर्म के नाम पर एक लीक पीटनी है | अभी हाल मे गायों की तस्करी के कुछ मामले भी पकडे गये हैं | इन गायों को कत्लखाने ले जाया जा रहा था | बकरीद के अवसर पर इस प्रकार से गायों की तस्करी आग मे घी डालने का काम कर रही है | गौर-तलब है कि उत्तर पूर्व के कुछ क्षेत्रों को छोड कर गोमांस पूरी... Read more |
![]() मेरा सरोकार ये मेरा सरोकार है, इस समाज , देश और विश्व के साथ . जब भी और जहाँ भी ये अनुभव होता है कि इसको तो सबसे बांटने और पूछने का विषय है, सब में बाँट लेने से कुछ और ही परिणाम और हल मिल जाते हैं. एकस्वस्थ्य समाज कि परंपरा को निरंतर चलाते रहने में एक कण का क्या उपयोग हो सकता है ? ये तो मैं नहीं जानती लेकिन चुप नहीं रहा जा सकता है. गुरुवार, 23 जुलाई 2020 हरियाली तीज ! हरियाली तीज का उत्सव सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। यह नाग पंचंमी के दो दिन पहले होता है और यह उत्सव भी सावन के अन्य उत्सवों की तरह से महिलाओं का उत्सव है। सावन में ... Read more |
![]() लेखन : एक चिकित्सा विधि ! लेखन एक ऐसी विधा है , जो औषधि है - मन मष्तिष्क को शांत करने वाली एक प्रणाली है। मन और मष्तिष्क को तनाव से मुक्त करने का एक कारगर साधन भी है। कुछ लोग इसको हँसी में उड़ा देते हैं कि लिखना कोई दाल भात नहीं कि चढ़ाया और पका कर रख दिया। बिलकुल सच है लेकिन कौन कहता है कि आप साहित्य की रचना कीजिये। ये एक सवाल है कि हर कोई कहानी , कविता , आलेख लिखने की क्षमता नहीं रखता है , लेकिन कौन कहता है कि आप साहित्य रचिये - आप बस एक कलम और कॉपी लेकर बैठ जाइये बस थोड़ा सा स्वयं को संयत करने की जरूरत होती है। लिखना शुरू कीजिये जो भी मन में आये। ... Read more |
![]() ![]() पता नही क्यों लगता है कि राजनीति धीरे धीरे हमारी जिंदगी और उससे जुडे सरोकारों को हाशिए पर डाल रही है । वरना और क्या कारण हो सकता है कि प्रिंट मीडिया से लेकर इलेक्ट्रानिक मीडिया व सोशल मीडिया तक राजनीति का ही शोर सुनाई देने लगा है । जिंदगी के अकेलेपन , अवसाद के गहराते अंधेरों, महत्वाकाक्षांओं की बलि चढते रिश्तों, बिमारियों से बेदम होते समाज और संघर्षों की कहानियां शायद ही कहीं हमारी चिंता का विषय बन रहे हों । यहां तक कि प्यार की कहानियों, कसमे वादों की खूबसूरत दुनिया की दुश्वारियों पर भी हम कहां सोच पा रहे हैं । 80 व 90 के दशक तक इंसानी जिंदगी के तमाम भाव... Read more |
![]() मेरी बुराई करने वालों की खबर मुझे दे के क्यों मेरे सीने पे तीर मारते हो ?... Read more |
![]() Message on International YOGA DAY अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस २१ जून २०२०... Read more |
![]() जानिए तुग़लक़ और शर्क़ी बंदशाओं के जौनपुर में मक़बरे के बारे में | ... Read more |
![]() आज फिर वही खेल सामने आया और यह कोई पहली बार नहीं हुआ है । पूरा इतिहास है हमारे सामने कि बाल संरक्षण गृह में रहने वाली नाबालिग बच्चियों में से 57 कोरोना पॉजिटिव पाई गयीं , ये कहीं जाती नहीं है फिर भी इससे लज्जाजनक बात तो ये है कि उन में से 2 नाबालिग बच्चियाँ गर्भवती है और इनमें कहा जा रहा है कि दोनों बच्चियाँ आने से पहले से गर्भवती थीं । उनमें एक एच आईवी पॉजिटिव है और दूसरी हेपेटाइटिस सी से ग्रसित है । संबंधित अधिकारी इस विषय में चुप्पी साधे हैं तो एक प्रश्नचिह्न खड़ा है । ये कानपुर की ही घटना है । इन 57 बच्चियों के भी परीक्षण की जरूरत है कि उनमें से ... Read more |
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