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![]() ![]() न्याय निर्णय : ज्ञानवापी परिसर में बाबा विश्वनाथ की तलाश स्वागत योग्य निर्णय एक अत्यंत महत्वपूर्ण फैसले में वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने आदेश दिया है की ज्ञानवापी परिसर में भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण की सहायता से मंदिर के प्रमाण ढूंढे जाएं और जरूरत पड़ने पर अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाए जिसमें ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार और जिओ रेडियोलॉजी सिस्टम शामिल है . लगता है काशी के अच्छे दिन आने वाले हैं क्योंकि अगर पुरातत्व सर्वेक्षण में यह सिद्ध हो जाता है कि मस्जिद का निर्माण मंदिर तोड़ कर किया गया था तो वांछित निर्णय इसके बाद ही आ ... Read more |
![]() ![]() यह व्यक्ति दूसरे नेताओं से बिल्कुल अलग है. इसका उदय ऐसे समय पर हुआ जब सनातन संस्कृति अपने विनाश के कगार पर खड़ी थी. भारत के ज्यादातर राजनीतिक दल सत्ता के लालच में तुष्टिकरण के काम में इतने अंधे हो चुके थे कि उन्हें ये एहसास भी नहीं था कि उनके कुकृत्यों से हिंदू समाज पतन की खाई में गिरता जा रहा है और सनातन संस्कृति मिटने के कगार पर पहुंच चुकी है. प्राचीन भारत की इस पावन भूमि पर जहां वेदों और उपनिषदों की छाया है, गीता का मार्गदर्शन है, इसके बाद भी भारत 1000 साल तक विधर्मियों की दासता का शिकार हुआ. पहले मुस्लिम आक्रांता उन्हें इस देश की धन संपदा और स... Read more |
![]() ![]() अमावस्या और पूर्णिमा को लोग अलग व्यवहार क्यों करते है ? क्या चन्द्रमा मनुष्य और प्रकृति को प्रभावित करता है ? मेरा स्वयं का एक अनुभव है जिसका उल्लेख करना आवश्यक है. मैं कुछ समय पहले किसी काम से कोलकाता गया था. जिस दिन वापसी की फ्लाइट थी उसके एक दिन पहले ही मेरा काम खत्म हो गया था. मेरे मन में आया कि इस समय का उपयोग गंगासागर जाने के लिए करू. अगले दिन बहुत सुबह मैं सुंदरबन के काकदीप में जेटी के निकट पहुंच गया जहां से फेरी ( छोटा पानी का जहाज) सागर दीप जाने के लिए चलती है . मैं जल्दी पहुंचने के उद्देश्य इतनी सुबह आ गया था लेकिन बड़ा आश्चर्य हुआ कि 9:30 बजे के पह... Read more |
![]() ![]() पश्चिम बंगाल के स्थिति दिन प्रतिदिन बहुत ख़राब होती जा रही है , ऐसा लगता है कि सत्ता के लालच में राजनैतिक दल देश के इस भूभाग को कश्मीर बनाने में गुरेज नहीं कर रहे हैं. देखिये एक संक्षिप्त विश्लेषण. बंगाल 12 वीं शताब्दी तक भारत ही नहीं दुनिया में समृद्धि शाली राज्यों में गिना जाता था. यह राज्य जितना आर्थिक रूप से समृद्ध था उतना ही कला संस्कृति और प्रगतिशील सोच में भी समृद्ध था. कहा जाता था कि बंगाल जो आज सोचता है पूरी दुनिया उसे कल सोच पाएगी. उस समय बौद्ध धर्म के प्रभुत्व वाले इस शांतिप्रिय राज्य में 1204 में मोहम्मद बख्तियार खिलजी ने आक्रमण किया और चूंकि ह... Read more |
![]() ![]() आज प्रतिदिन बढ़ती मंहगाई ने घर-परिवार के बजट को फेल कर दिया है और एकाकी पुरुष आय से घर चलाने में असमर्थता उत्पन्न कर दी है। नारी भी आज घर-परिवार चलाने में समान रूप से अपनी भूमिका निभा रही है। अब नारी के लिए नौकरी या व्यवसाय न फैशन है, न अर्थ स्वातन्त्रय की ललक, अपितु यह जीवन जीने अर्थात् जीवकोपार्जन की अनिवार्यता बन गया है। अब ऐसे में कैसे उस नारी का एक दिन हो सकता है, जिसे मानवता की धुरी, मानवीय मूल्यों की संवाहक और मानवता की गरिमा माना गया है। यदि धरती का पुण्य उसकी सौन्दर्यता से व्यक्त होता है तो सृष्टि का पुण्य नारी में है। तभी तो प्रसाद जी कहते हैं- “ना... Read more |
![]() ![]() चिरकाल से लड़कों को घर का चिराग माना जाता है, लेकिन मैं समझती हूँ कि यदि उन्हें घर का चिराग माना जाता है तो मेरे समझ से वे केवल एक घर के ही हो सकते हैं, जबकि लड़कियाँ एक अपने माँ-बाप का तो दूसरा ससुराल वाला घर रोशन करती हैं। इस हिसाब से उन्हें एक नहीं दो घरों की चिराग कहे तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। लड़के-लड़की का भेद आज भी अनपढ़ ही नहीं, बल्कि सभ्य कहे जाने वाले समाज में भी सहज रूप से देखने को मिल जाता है, जो कि बहुत कष्टप्रद, दुःखद और सोचनीय स्थिति की परिचायक है। एक ही माँ के पेट से दोनों जन्में हाड़-मांस के बने होने के बावजूद एक को श्रेष्ठ और दूसरे का कम आंकने वालों... Read more |
![]() ![]() कोरोना अभी गया नहीं है किंतु हमने मान लिया है कि यह जा चुका है। चूंकि देश और राज्यों में अब सबकुछ खुल चुका है अतः बेपरवाही भी उसी प्रकार से बढ़ गई है। अब शायद ही कहीं दो गज की दूरी का पालन हो रहा हो। अब शायद ही- अपवादों को छोड़कर- कोई मास्क पहन रहा हो। बेफिक्र अंदाज में सब इधर-उधर घूम रहे हैं। सरकार और प्रशासन की तरफ़ से सख्ती भी अब उतनी नहीं रही। पहले जब सख्ती थी, तब ही हमने उसे कितना माना। बेफिक्र और लापरवाह बने रहना हमारी फितरत है। इसे कोई नहीं बदल सकता। शरीर को कितना ही कष्ट दे लेंगे मगर बने लापरवाह ही रहेंगे। पढ़ने व सुनने में आ रहा है कि कोरोना वायरस एक बार ... Read more |
![]() ![]() जब मनुष्य सीखना बन्द कर देता है तभी वह बूढ़ा होने लगता है बुढ़ापा मनुष्य के चेहरे पर उतनी झुरियाँ नहीं जितनी उसके मन पर डाल देता है अनुभव से बुद्धिमत्ता और कष्ट से अनुभव प्राप्त होता है बुद्धिमान दूसरों की लेकिन मूर्ख अपनी हानि से सीखता है जिसे सहन करना कठिन था उसे याद कर बड़ा सुख मिलता है सुख दुर्लभ है इसीलिए उसे पाकर बड़ा आनन्द आता है भाग्य विपरीत हो तो शहद चाटने से भी दांत टूट जाते हैं जब शेर पिंजरे में बन्द हो तो कुत्ते भी उसे नीचा दिखाते हैं... Read more |
![]() ![]() कोरोना काल में यदि नया साल मनाना हो जरूरी तो तय कर लो एक निश्चित दूरी कहीं अगर बीच में कोरोनो आ धमकेगा तो सारी मौज-मस्ती पर पानी फेर देगा इसलिए क्षण भर की खुशी के चक्कर में खतरे न लो मोल क्योंकि जीवन है अनमोल बस हैप्पी न्यू ईयर बोल बस हैप्पी न्यू ईयर बोल... Read more |
![]() ![]() भारत में किसान प्रतिरोध की परंपरा बड़ी जीवन्त रही है। बंगाल में हुए कैवर्थ विद्रोह से लेकर मुगलिया सल्तनत के विरुद्ध सिक्खों, जाटों और सतनामी कृषकों के असंतोष ने भारतीय मानस पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। ब्रिटिश औनिवेशिक सत्ता की स्थापना के उपरांत उनकी भू राजस्व नीतियों के विरुद्ध बिरसा मुंडा, सिद्धू कान्हु, बाबा रामचन्द्र देव और महात्मा गांधी – पटेल की अगुआई में किसानों ने अपने हक – हकुकी की लड़ाई को आगे बढ़ाया। 1960-70 के दशक में भारत के कुछ क्षेत्रों में कृषि उत्पादन में आई क्रांति ने किसानों को आने वाले दशकों में बाज़ार की शक्तियों के मोहताज कर दिया... Read more |
![]() ![]() जब-जब भी मैं तेरे पास आया तू अक्सर मिली मुझे छत के एक कोने में चटाई या फिर कुर्सी में बैठी बडे़ आराम से हुक्का गुड़गुड़ाते हुए तेरे हुक्के की गुड़गुड़ाहट सुन मैं दबे पांव सीढ़ियां चढ़कर तुझे चौंकाने तेरे पास पहुंचना चाहता उससे पहले ही तू उल्टा मुझे छक्का देती ... Read more |
![]() ![]() जाने कैसे मर-मर कर कुछ लोग जी लेते हैं दुःख में भी खुश रहना सीख लिया करते हैं मैंने देखा है किसी को दुःख में भी मुस्कुराते हुए और किसी का करहा-करहा कर दम निकलते हुए संसार में इंसान अकेला ही आता और जाता है अपने हिस्से का लिखा दुःख खुद ही भोगता है ठोकरें इंसान को मजबूत होना सिखाती है मुफलिसी इंसान को दर-दर भटकाती है... Read more |
![]() सभी पाठकों और शुभ चिंतकों को दीपावली की बधाई और शुभकामनायें |... Read more |
![]() जानिए जौनपुर में तुग़लक़ , शर्क़ी और मुग़ल काल की खानकाहों के बारे में | ... Read more |
![]() जी हाँ मेरे जीने का अंदाज़ अक्सर कुछ लोगों को अलग सा लग तो सकता है... Read more |
![]() ![]() शत्रु की मुस्कुराहट से मित्र की तनी हुई भौंहे अच्छी होती है मूर्ख के साथ लड़ाई करने से उसकी चापलूसी भली होती है किसी कानून से अधिक उसके उल्लंघनकर्ता मिलते हैं ऊँचे पेड़ छायादार अधिक लेकिन फलदार कम रहते हैं पत्थर खुद भोथरा हो फिर भी छुरी को तेज करता है मरियल घोड़ा भी हट्टे-कट्टे बैल से तेज दौड़ सकता है पोला बांस बहुत अधिक आवाज करता है जो जिधर झुकता है वह उधर ही गिरता है आरम्भ के साथ उसका अंत भी चलता है तिल-तिल जीने वाला हर दिन मरता है ... कविता रावत ... Read more |
![]() कामयाब न्यूज़ पोर्टल कैसे बनाएं ? How to run NEWS Portal Successfully?... Read more |
![]() ![]() राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने कहा था 'अखिल भारत के परस्पर व्यवहार के लिए ऐसी भाषा की आवश्यकता है जिसे जनता का अधिकतम भाग पहले से ही जानता-समझता है, हिन्दी इस दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ है।' 'हृदय की कोई भाषा नहीं है, हृदय-हृदय से बातचीत करता है और हिन्दी हृदय की भाषा है।' भारत की आज़ादी और गाँधी जी के इंतकाल के कई दशक बीत गए लेकिन आज भी हिन्दी को न सम्मान मिल सका न बापू की बात को कोई महत्व दिया गया। हिन्दी, हिन्दी भाषियों और देश पर जैसे एक मेहरबानी की गई और हिन्दी को महज़ राजभाषा बना दिया गया। बापू ने कहा था 'राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूँगा है।' सचमुच हमारा राष... Read more |
![]() ![]() राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने कहा था 'अखिल भारत के परस्पर व्यवहार के लिए ऐसी भाषा की आवश्यकता है जिसे जनता का अधिकतम भाग पहले से ही जानता-समझता है, हिन्दी इस दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ है।' 'हृदय की कोई भाषा नहीं है, हृदय-हृदय से बातचीत करता है और हिन्दी हृदय की भाषा है।' भारत की आज़ादी और गाँधी जी के इंतकाल के कई दशक बीत गए लेकिन आज भी हिन्दी को न सम्मान मिल सका न बापू की बात को कोई महत्व दिया गया। हिन्दी, हिन्दी भाषियों और देश पर जैसे एक मेहरबानी की गई और हिन्दी को महज़ राजभाषा बना दिया गया। बापू ने कहा था 'राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूँगा है।' सचमुच हमारा राष... Read more |
![]() इमाम हुसैन की शहादत को नमन करते हुए हमारी ओर से श्रद्धांजलि | एस एम् मासूम ... Read more |
![]() ![]() फ़िर एक बार असहमति के स्वर सुनाई देने लगे हैं | यह दीगर बात है कि कोरोना महामारी के चलते मुस्लिम मुल्ला मौलवियों का एक वर्ग जरूर बकरीद पर अपने समाज से सरकार को सहयोग करने की अपील कर रहा है | लेकिन उन लोगों की संख्या कम नही जिन्हें कोरोना या दूसरे समाज की भावनाओं की जरा भी परवाह नही | उन्हें तो बस धर्म के नाम पर एक लीक पीटनी है | अभी हाल मे गायों की तस्करी के कुछ मामले भी पकडे गये हैं | इन गायों को कत्लखाने ले जाया जा रहा था | बकरीद के अवसर पर इस प्रकार से गायों की तस्करी आग मे घी डालने का काम कर रही है | गौर-तलब है कि उत्तर पूर्व के कुछ क्षेत्रों को छोड कर गोमांस पूरी... Read more |
![]() मेरा सरोकार ये मेरा सरोकार है, इस समाज , देश और विश्व के साथ . जब भी और जहाँ भी ये अनुभव होता है कि इसको तो सबसे बांटने और पूछने का विषय है, सब में बाँट लेने से कुछ और ही परिणाम और हल मिल जाते हैं. एकस्वस्थ्य समाज कि परंपरा को निरंतर चलाते रहने में एक कण का क्या उपयोग हो सकता है ? ये तो मैं नहीं जानती लेकिन चुप नहीं रहा जा सकता है. गुरुवार, 23 जुलाई 2020 हरियाली तीज ! हरियाली तीज का उत्सव सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। यह नाग पंचंमी के दो दिन पहले होता है और यह उत्सव भी सावन के अन्य उत्सवों की तरह से महिलाओं का उत्सव है। सावन में ... Read more |
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