Tag: लघुकथा |
![]() राणीसती का मंगलपाठ होने के बाद जैसे ही शिल्पा घर जाने के लिए बाहर की ओर जा रही थी तो उसे जानी-पहचानी आवाज सुनाई दी, ''शिल्पा...'' 65 साल की उम्र में उसके नाम से पुकारने वाले बहुत ही कम लोग थे। उसने पीछे मुडकर देखा तो उसके गांव की उसकी पड़ोसन कम पक्की सहेली लता थी। लता को यहां देख ... Read more |
![]() ![]() टीवी खोला ही था कि धमाका हुआ और धमाका देखकर मेरे बालमन का मयूर नाच उठा। बालमन का मयूर था तो नौसिखिया नर्तक होना तो लाजमी ही था। परन्तु नौसिखिए नर्तक के साथ सबसे बड़ी समस्या ये होती है कि उसे हर काम में ‘साथी हाथ बढ़ाना’ वाले भाव में एक साथी की आवश्यकता महसूस होती है। उसको न... Read more |
![]() चौथीकक्षा की हिंदी की क्लास चल रही थी। शिक्षक ने बच्चों से ‘मेरा सपना’ विषय पर निबंध लिखने को कहा। सभी बच्चों ने अपने-अपने हिसाब से निबंध लिखे। किसी का सपना इंजीनियर बनने का था तो किसी का डॉक्टर। किसी को नृत्य में महारत हासिल करनी थी तो किसी को गायन में। हर बच्चा कुछ बड़... Read more |
![]() ![]() "रोज-रोज क्या बात करनी है, हर दिन वही बात - खाना खाया, क्या खाया, दूध पी लिया करो, फल खा लिया करो, टाइम से वापस आ जाया करो।"आवाज में झुंझलाहट थी और फोन कट गया। वह हत्प्रभ रह गई। इसमें गुस्सा होने की क्या बात थी। आखिर माँ हूँ, फिक्र तो होती है न। हो सकता है पढ़ाई का बोझ ज्यादा होग... Read more |
![]() ![]() रचनाकार परिचय:- नाम: डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी सहायक आचार्य (कंप्यूटर विज्ञान) जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, उदयपुर (राजस्थान) पता - 3 प 46, प्रभात नगर, सेक्टर - 5, हिरण मगरी, उदयपुर (राजस्थान) - 313002 फोन - 99285 44749 ई-मेल -chandresh.chhatlani@gmail.com यू आर एल - http://chandreshkumar.wikifoundry.com मेरी ... Read more |
![]() ''ए जी, सुनते हो…अब श्राद्ध आने वाले हैं...!''मृतात्मा ने अपने पतिदेव की मृतात्मा से कहा।''हाँ, भागवान…! मैं भी बड़ी बेसब्री से अपनी तिथि आने का इंतजार कर रहा हूँ...कब से अपने मनपसंद व्यंजन खाने का मन कर रहा हैं।''पतिदेव की मृतात्मा ने कहा।श्राद्ध की तिथि के दिन...दोनों मृतात्मा... Read more |
![]() ![]() रचनाकार परिचय:- दीपिका मित्तल 09412342584 99, Natrajpuram Kamla nagar Agra लघुकथा - महिला दिवस अशोक कुमार गुप्ता जिन्हें लोग लल्ला बाबू के नाम से ज्यादा जानते थे,फिरोजाबाद के सभ्रांत परिवार सेताल्लुक रखते थे और चूड़ी कारोबारी थे। उनके परिवार में उनकी माँ सावित्री देवी, पत्नी ममता और दो जुड़व... Read more |
![]() ![]() "चले जाओ, मुझे कुछ भी नहीं कहना है।"दरवाज़ा खोलने वाली स्त्री ने आगंतुकों की भीड़ की ओर देखकर कहा। धड़ाम की ज़ोरदार आवाज़ के साथ द्वार पुनः बंद हो गया। रचनाकार परिचय:- १. पूरा नाम : महावीर उत्तरांचली २. उपनाम : "उत्तरांचली"३. २४ जुलाई १९७१ ४. जन्मस्थान : दिल्ली ५. (1.) आग का दरिया ... Read more |
![]() ![]() "वो क्या ले गए जो सिकंदर के वाली थे। जब गया सिकंदर दोनों हाथ खाली थे।"रचनाकार परिचय:- १. पूरा नाम : महावीर उत्तरांचली २. उपनाम : "उत्तरांचली"३. २४ जुलाई १९७१ ४. जन्मस्थान : दिल्ली ५. (1.) आग का दरिया (ग़ज़ल संग्रह, २००९) अमृत प्रकाशन से। (2.) तीन पीढ़ियां : तीन कथाकार (कथा संग्रह में प्र... Read more |
![]() ![]() रचनाकार परिचय:- प्राण शर्मा वरिष्ठ लेखक और प्रसिद्ध शायर हैं और इन दिनों ब्रिटेन में अवस्थित हैं। आप ग़ज़ल के जाने मानें उस्तादों में गिने जाते हैं। आप के "गज़ल कहता हूँ'और 'सुराही'काव्य संग्रह प्रकाशित हैं, साथ ही साथ अंतर्जाल पर भी आप सक्रिय हैं। अपने आपको प्रतिष... Read more |
![]() ![]() रात के घने अँधेरे में एक हाथ जो द्वार खटकने के उद्देश्य से आगे बढ़ा था। वह भीतर का वार्तालाप सुनकर ज्यों-का-त्यों रुक गया। रचनाकार परिचय:- १. पूरा नाम : महावीर उत्तरांचली २. उपनाम : "उत्तरांचली"३. २४ जुलाई १९७१ ४. जन्मस्थान : दिल्ली ५. (1.) आग का दरिया (ग़ज़ल संग्रह, २००९) अमृत प... Read more |
![]() ![]() यह लगभग तय हो चुका था कि दार्शनिक को विषपान करना ही पड़ेगा। जब ज़हर से भरा प्याला दार्शनिक के सम्मुख लाया गया तो उनसे पुन: कहा गया -- "अब भी वक़्त है, यदि तुम अपनी विद्वता और सिद्धांतों की झूठी माला उतार फैंको तो हम तुम्हें मृत्यु का वरन नहीं करने देंगे। हम तुम्हे अभयदान देंगे... Read more |
![]() ![]() "डैड, मैं छह महीने बाद हिन्दुस्तान जाऊंगा। इसलिए अभी से तैयारियां कर रहा हूँ।"अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के हैरी उर्फ़ 'हरीश'ने अपने पिता जैकी उर्फ़ 'जयकिशन'से कहा। रचनाकार परिचय:- १. पूरा नाम : महावीर उत्तरांचली २. उपनाम : "उत्तरांचली"३. २४ जुलाई १९७१ ४. जन्मस्थान : दिल... Read more |
![]() ![]() बस खचाखच भरी हुई थी। कई डबल सीटों पर तीन-तीन सवारियाँ मुश्किल से बैठी हुई थीं। एक सज्जन बड़े आराम से पैर फैलाये बैठे थे। रचनाकार परिचय:- १. पूरा नाम : महावीर उत्तरांचली २. उपनाम : "उत्तरांचली"३. २४ जुलाई १९७१ ४. जन्मस्थान : दिल्ली ५. (1.) आग का दरिया (ग़ज़ल संग्रह, २००९) अमृत प्र... Read more |
![]() ![]() शहर का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल। मरी-गिरी चाल में आवाज़ करते हुए बाबा आदम के ज़माने के भारी भरकम पंखे सुस्त गति से अपनी सेवाएँ निरंतर प्रदान कर रहे थे, यह बड़े आश्चर्य की बात थी। अस्पताल की छत और दरो-दिवारें न जाने कब से रंग-रोगन की मांग कर रहे थे। यदा-कदा मकड़ी के ज़ाले दृष्टिग... Read more |
![]() ![]() कुछ दिन पहले एक मुकदमा मुझे मिला। उस के साथ चार फाइलें साथ नत्थी थीं। ये उन संबंधित मुकदमों की फाइलें थीं पहले चल चुके थे। मैं ने उस फाइल का अध्ययन किया। आज उस केस में अपना वकालतनामा पेश करना था। कल शाम क्लर्क बता रहा था कि फाइल नहीं मिल रही है। मैं ने व्यस्तता में कहा कि ... Read more |
![]() ![]() मैं उस समय ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ता था। जीवविज्ञान विषय की क्लास में मेरे साथ कुछ लड़कियाँ भी पढ़तीं थीं। परन्तु मैं बेहद शर्मीला था। इसी लिए कक्षाध्यापक ने मेरी सीट लड़कियों की बिल्कुल बगल में निश्चित कर दी थी।कक्षा में सिर्फ एक ही लड़का मेरा दोस्त था। उसका नाम राम सिंह ... Read more |
![]() ![]() सरहद पर जैसे ही किसी के आने की सुगबुगाहट हुई। अँधाधुंध गोलियां चल पड़ीं। घुसपैठ करती मानव आकृति कुछ क्षण के लिए तड्पी और वहीँ गिर पड़ी। रचनाकार परिचय:- १. पूरा नाम : महावीर उत्तरांचली २. उपनाम : "उत्तरांचली"३. २४ जुलाई १९७१ ४. जन्मस्थान : दिल्ली ५. (1.) आग का दरिया (ग़ज़ल संग्र... Read more |
![]() ![]() रचनाकार परिचय:- प्राण शर्मा वरिष्ठ लेखक और प्रसिद्ध शायर हैं और इन दिनों ब्रिटेन में अवस्थित हैं। आप ग़ज़ल के जाने मानें उस्तादों में गिने जाते हैं। आप के "गज़ल कहता हूँ'और 'सुराही'काव्य संग्रह प्रकाशित हैं, साथ ही साथ अंतर्जाल पर भी आप सक्रिय हैं। दीप रोज़ ही किस... Read more |
![]() ![]() "मृत्यु से अंजान उस नन्हे बालक को देखो अपने दादा के शव के पास कैसे खेल रहा है, जैसे कुछ हुआ ही नहीं,"सन्यासी ने कहा। पृष्ठभूमि पर परिजनों का विलाप जारी था। रचनाकार परिचय:- १. पूरा नाम : महावीर उत्तरांचली २. उपनाम : "उत्तरांचली"३. २४ जुलाई १९७१ ४. जन्मस्थान : दिल्ली ५. (1.) आग का... Read more |
![]() ![]() "भारत माता की।"वातावरण में गूंजता एक स्वर। रचनाकार परिचय:- १. पूरा नाम : महावीर उत्तरांचली २. उपनाम : "उत्तरांचली"३. २४ जुलाई १९७१ ४. जन्मस्थान : दिल्ली ५. (1.) आग का दरिया (ग़ज़ल संग्रह, २००९) अमृत प्रकाशन से। (2.) तीन पीढ़ियां : तीन कथाकार (कथा संग्रह में प्रेमचंद, मोहन राकेश और मह... Read more |
![]() ![]() अमेरिका से हिंदुस्तान के लिए एक विमान ने उड़ान भरी। एक जिज्ञासु बच्चा अपने पिता के साथ बैठा था। रचनाकार परिचय:- १. पूरा नाम : महावीर उत्तरांचली २. उपनाम : "उत्तरांचली"३. २४ जुलाई १९७१ ४. जन्मस्थान : दिल्ली ५. (1.) आग का दरिया (ग़ज़ल संग्रह, २००९) अमृत प्रकाशन से। (2.) तीन पीढ़ियां : ... Read more |
![]() ![]() रचनाकार परिचय:- शबनम शर्मा अनमोल कुंज, पुलिस चैकी के पीछे, मेन बाजार, माजरा, तह. पांवटा साहिब, जिला सिरमौर, हि.प्र. – 173021 मोब. - 09816838909, 09638569237 आदत है हर रोज़ शाम को मन्दिर जाकर कुछ समय बिताने की। दिवाली थी उस दिन। पूरा दिन काफ़ी व्यस्त रही, शाम को भी काम खत्म नहीं हो रहा था। पर मन था... Read more |
![]() ![]() जून की तपती दोपहरी में बाज़ार की तमाम दुकानें बंद थीं। कुछेक दुकानों के स्टर आधे गिरे हुए थे। जिनके भीतर दुकानदार आराम कर रहे थे। एक व्यक्ति प्यासा भटक रहा था। एक खुली दुकान देखकर उसने राहत की सांस ली। रचनाकार परिचय:- १. पूरा नाम : महावीर उत्तरांचली २. उपनाम : "उत्तरांच... Read more |
![]() ![]() "भाई साहब पूरी ट्रैन में धक्के खाने के बावजूद मुझे कहीं भी सीट नहीं मिली। सारे डिब्बे खचाखच भरे हुए हैं। आपकी मेहरबानी होगी यदि आपके बगल में बैठने की थोड़ी-सी जगह मिल जाये।"याचना भरे स्वर में दुबले-पतले व्यक्ति ने कहा। पसीने और मारे गर्मी से उसका बुरा हाल था। जान पड़ता था ... Read more |
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