Tag: रिवाज़-रीत बन गये |
![]() ![]() --फूल हो गये ज़ुदा, शूल मीत बन गयेभाव हो गये ख़ुदा, बोल गीत बन गये--काफ़िला बना नहीं, पथ कभी मिला नहींवर्तमान थे कभी, अब अतीत बन गये--देह थी नवल-नवल, पंक में खिला कमलतोतली ज़ुबान की, बातचीत बन गये--सभ्यता के फेर में, गन्दगी के ढेर मेंमज़हबों की आड़ में, हार-जीत बन गये--आइन... Read more |
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