![]() ![]() धुआँ घुटन का किस फूँक से उड़ायें धंसे बेबसी के काँच अब किसे दिखायेंन हो सकी उन्हीं से मुलाकात औ गुजर गयी ज़िन्दगी अब किस पनघट पे जाके प्यास अपनी बुझायें मन पनघट पर जा के बुझा ले प्यास सखी पिया आयेंगे की लगा ले आस सखी वो भी तुझे देखे बिन रुक न पायेंगे फिर क्यों विरह से किया स... |
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