![]() ![]() दहशत का लिफाफा हर दहलीज को चूमता रहा और सुर्ख रंग से सराबोर होता रहा हर चेहरा फिर किसके निशाँ ढूँढते हो अब ?तुमने दहशतें बोयी हैं फसल लहलहा कर आयी है सदियों से अब कैसी अदावत तुम्हारे चेहरे की लुनाई है अब क्यों गायब?प्रायोजित कार्यक्रम बना डाला सबने अपना गुबार निकाल मार... |
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