![]() वह गॉंव की धरती पीले पीले सरसो देखे हुए आज हुआ मुझे बरसो खेतो की मस्ती और बादल की हस्ती कहती है मुझसे आजाओ तुम बस्ती l १ l पीपल के पत्ते, सावन की राते याद हमें है उनकी सताते पेड़ो की छाया और ममता की माया कहती है क्यों तुमने हमें भुलाया l 2 l जीवन के दिन होते है छोटे आजाओ घर तुम मेरे बेटे पनघट की पानी, बचपन जवानी कहती है मुझसे कहानी पुरानी सावन के दिन तो लगते सुहाने फिर क्यों हो तुम इनसे बेगाने l 3 l वह गॉंव की गोरियां, बागो की कलियाँ बुलाती है मुझको अपने गलियां हम है यहाँ, पर मन है वहाँ गॉंव की धरती बुलाये वहाँ l 4 l ... |
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