![]() ![]() आज खोया आसमां हैकाले मेघों से घिरा हैरोक दो इन बारिशों कोडूबी जाए अब धरा है।आँसुओं की उठती लहरेंनयन का सागर भरा हैशूल बन कर चुभती यादेंघाव अब तक वो हरा है।और फ़िर ऐसे समय मेंआ बसी हो तुम हृदय मेंअस्त होती हैं उम्मीदेंकोई रुचि है ना उदय में।घटती साँसें पूछे मुझसेवक्त कि... |
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