रेडियोनामा पर जानी-मानी रेडियो-शख्सियत महेंद्र मोदी रेडियोनामा पर अपनी जीवन-यात्रा के बारे में बता रहे हैं। तो आज सातवीं कड़ी में पढिए कुछ और यादें।अब मैं सादुल स्कूल में पढ़ रहा था. मेरा बैंजो वादन भी चल रहा था. स्कूल में मैं पढाई के लिए कम और अपने बैंजो वादन के लिए ज़्या...
संगीत हमारी दुनिया का एक ज़रूरी हिस्सा है। और उसकी एक अंतर्धारा लगातार चलती रहती है। संगीत के प्रति इसी जुनून ने 'रेडियोवाणी' का आग़ाज़ करवाया था। आज जब रेडियोवाणी की पांचवीं सालगिरह है तो हैरत होती है कि ये सफर कितनी तेज़ी-से कट गया। 'रेडियोवाणी' के ज़रिये नए दोस्त, ...
रेडियोनामा पर जानी-मानी रेडियो-शख्सियत महेंद्र मोदी रेडियोनामा पर अपनी जीवन-यात्रा के बारे में बता रहे हैं। तो आज सातवीं कड़ी में पढिए कुछ मार्मिक यादें।जिस उम्र में स्कूल में पेन-पेन्सिल खो जाना या होम वर्क न कर पाने पर अध्यापक की डांट पड़ जाना या फिर किसी खिलौने का ...
आज रेडियो सीलोन की 61 वीं सालगिरह है। श्रीलंका ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन के विदेश विभाग ने भारतीय रेडियो की दुनिया में भी क्रांति लाई। कहीं ना कहीं इसकी कामयाबी विविध-भारती की स्थापना की वजह भी बनी। दुनिया के इस बेहद लोकप्रिय रेडियो-स्टेशन की चमक आज पहले जैसी नहीं र...
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि 'काशी का अस्सी' के लिए लेखक काशीनाथ सिंह को साहित्य अकादमी पुरस्कार दिये जाने की घोषण की गयी है। शुभ्रा जी ने इस मौक़े पर दिल्ली के एफ.एम. गोल्ड के लिए काशी जी के पुराने मित्र शेष नारायण सिंह से उनके व्यक्तित्व के कुछ अंतरंग पहलुओं पर बा...
नया साल अब लगभग पुराना होने को है। जनवरी का महीना बस बीता ही जा रहा है। साल के शुरू होते-होते ही हमने रेडियोनामा के कुछ साथियों से ई-मेल पर नए साल में रेडियो से उनकी उम्मीदों के बारे में कुछ सवाल पूछे। ये हमारे वो साथी हैं जो रेडियो के नियमित श्रोता हैं। हमारे सवाल थे ये- ...
पिछले कुछ दिनों से रेडियोनामा पर ना तो शुभ्रा जी आ रही थीं और ना ही 'न्यूज़ रूम से शुभ्रा शर्मा' वाले स्तंभ की अगली कडियां। नया साल शुरू होते ही शुभ्रा जी ने दो अनमोल प्रस्तुतियां रेडियोनामा के लिए तैयार की हैं। इनमें से एक आज। अगली अनमोल प्रस्तुति असल में ऑडियो ...
नाटक हर इंसान की……..नहीं शायद इंसान ही नहीं, हर प्राणी की ज़िंदगी का एक ज़रूरी हिस्सा होता है. आपने देखा होगा कुत्ते अक्सर आपस में खेलते हैं.... एक दूसरे को काटने का अभिनय करते हैं... मगर चोट नहीं पहुंचाते . आपका पालतू कुत्ता जब आपके साथ खेलना चाहता है तो आपके सामने आकर भौंकने ल...
पांचवीं क्लास तक मैं जिस स्कूल में पढ़ा, उसका नाम था राजकीय प्राथमिक पाठशाला नंबर ९ . बहुत ही साधारण सा स्कूल था,अंग्रेज़ी के ए बी सी डी अभी कोर्स में नहीं थे हालांकि सभी गुरु लोग अंग्रेज़ी का नाम लेकर डराया करते थे कि अभी ये हाल है तो अगले साल छठी में क्या करोगे जब अंग्रेज़ी प...
देश के आज़ाद होने के कुछ ही साल बाद मेरा जन्म हुआ था. यानि मेरा और आज़ाद भारत का बचपन साथ साथ गुज़रा. तब तक मेरे पिताजी पुलिस की नौकरी छोड़ चुके थे. यों तो उनकी श्री गंगानगर की पोस्टिंग भी मुझे याद है जब हम आसकरण बहनोई जी और रामभंवरी बाई के साथ एक ही घर में रहते थे. घर में कुल तीन ...