To read this post in English- Click Hereझारखण्ड न सिर्फ खनिज-खदानों से भरा पड़ा है, बल्कि यहाँ भी एक से बढ़कर एक अछूते रमणीय स्थल मौजूद हैं, जो की पर्यटन के लिहाज से अब तक अधिक विकसित नहीं हो पाएं हैं। कल्पना कीजिये की अपने ही राज्य में अगर एक ऐसी जगह हो, जहाँ दिन की दुपहरिया में भी बादल पर्वतों को... |
पिछले पोस्टों में आपने पढ़ा - पहले जमशेदपुर से काठमांडू तक की बस यात्रा, फिर काठमांडू से लेकर पोखरा तक के दिलकश नज़ारे। इन चार पांच दिनों में मन इस हिमालयी देश में पूरी तरह रम चुका था। क़भी भी यह महसूस ही नहीं हुआ की हम किसी दूसरे देश में घूम रहे हैं, बल्कि सबकुछ अपने देश जैसा... |
पिछले पोस्ट में आपने काठमांडू और आस पास के नजारों को देखा। तीसरे दिन हम नेपाल के एक अन्य प्रमुख शहर पोखरा की ओर रवाना हुए। काठमांडू से पोखरा लगभग 150 किमी दूर है जिसे 5 घंटों में तय किया जाना था। वैसे दोनों शहरों के बीच सीधी वायुयान सेवा भी उपलब्ध हैं। काठमांडू से पोखरा जा... |
पिछले पोस्ट में आपने देखा की जमशेदपुर से काफी जद्दोजहद कर हम काठमांडू तक पहुँच चुके थे। काठमांडू के प्रथम दर्शन से लगा की यह कोई बड़ा शहर ही है। हलकी हलकी बारिश के साथ मौसम बड़ा सुहावना था यहाँ। होटल हमारा पहले से बुक न था, इसीलिए हमने इधर उधर पता कर अंततः फ्री वाई-फाई से ल... |
नेपाल यानि हिमालय की गोद में बसा हुआ एक छोटा सा देश- जिसे हम गौतम बुद्ध की जन्मभूमि कहें या पिछले वर्ष आये विनाशकारी भूकंप का शिकार- हमेशा से ही भारत के सबसे निकटतम पडोसी देशों में शुमार रहा है। यही कारण है की दोनों देशों की ढेर सारी सभ्यता-संस्कृति भी बिलकुल एक जैसी रही ... |
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February 27, 2016, 5:28 pm |
भारत के पूर्वी घाटों में पुरी अपने सुनहरे समुद्रतटों और मंदिरों के लिए सुविख्यात है, साथ ही साथ कोणार्क का विश्वविख्यातसूर्य मंदिरऔर भुबनेश्वर कालिंगराज मंदिर- ये दोनों मिलकर पुरी के साथ एक त्रिभुजाकार पर्यटन पथ का निर्माण करते हैं। पुरी का जगन्नाथ मंदिरतो काफी प... |
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February 20, 2016, 9:31 am |
To read this post in English- Click Hereमहानगर! यानि की भीड़-भाड़, भाग-दौड़, गर्मी-पसीना! लेकिन भारत में बैंगलोर(बंगलुरु) ही एक ऐसा महानगर है जहाँ मौसम सदा सुहावना बना रहता है। दक्कन के पठार पर समुद्रतल से 1000 मीटर पर होने के कारण यहाँ एक प्रकार का प्राकृतिक वातानुकूलन मौजूद है। मौसम के खुशमिजाजी के... |
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February 13, 2016, 5:39 pm |
To Read This Post in English- Click Hereकन्याकुमारी के विवेकानंद रॉक तथा कुछ अन्य समीपवर्ती समुद्र तटों व स्मारकों से दो चार होने के दौरान स्थानीय लोगों से बातचीत के जरिये ही एक ऐसे तट का नाम सुन रखा था जो मुख्य शहर से थोडा सा बाहर है, किन्तु बिलकुल शांत और अपने आप में इतना अनोखा की प्रचलित समु... |
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February 4, 2016, 9:35 pm |
To read this post in English- Click Hereकेरल के कोवलम तट के सौंदर्य से मुखातिब होने के बाद पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम के अनुसार हमारा अगला पड़ाव था -त्रिभुजाकार भारत के दक्षिणतम छोर कन्याकुमारी पर जिसे पहले केप-कोमोरिनके नाम से भी जाना जाता था। सबसे रोमांचक तथ्य यह है की यहाँ तीन समुद्रों- हि... |
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January 25, 2016, 8:44 pm |
केरल दर्शन के पहले चरण में मैं आपको ले चला था इसकी सुकूनभरी तटों की और। तटों के अलावा भी भला ऐसा क्या है केरल में जो बेहद खास है? जी हाँ! अप्रवाही जल या यूँ कहें बैकवाटर जो की अनेक नदियों, झीलों, नहरों और सागरीय जल से बना एक अनूठा जलतंत्र है। अल्लेप्पी बैकवाटर पर्यटन का मुख... |
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January 16, 2016, 5:36 pm |
केरल, एक ऐसा राज्य जिसका नाम आते ही मन में भारतीय मानचित्र के त्रिभुजाकार दक्षिणी हिस्से की छवि उभर कर आती है। घनी हरियाली से आच्छादित पर्वतमालाएं, नारियल-केले के पेड़ और अरब सागर के लहरों को स्पर्श करती इसकी तटों का तो कोई जवाब ही नहीं है। आयुर्वेद के खज़ाने से भरे और चन... |
आप सभी को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ! जैसा की सर्वविदित है की पुराने वर्ष की समाप्ति और नए वर्ष के आगमन के साथ ही हम सब एक नए हर्षोल्लास में डूब जाते हैं और आनंद प्राप्ति के नए -नए तरीके तलाशते हैं। इन्हीं क्षणों को यादगार बनाने का एक प्रयास होता है- पिकनिक। अ... |
साल 2015 कुछ ही दिनों में हमसे विदा लेने वाला है और जल्द ही इतिहास के पन्नों में गुम हो जायेगा। यात्रा का शौकीन तो मैं हमेशा से था ही, लेकिन इस वर्ष आखिर क्या ख़ास किया मैंने? ब्लॉग जगत में प्रवेश के साथ ही यात्रा का मजा दिन दूनी और रात चौगुनी गति से बढ़ता चला गया, साथ ही देशभ... |
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December 29, 2015, 10:02 pm |
कहा जाता है की भारत नदियों का देश है, जिनमें गंगा सर्वप्रमुख है। हिमालयी कंदराओं से उत्पन्न होती, हजारों मोड़ और वलय लेती तथा इसके किनारे बसे शहरों के लाखों-करोड़ों लोगों को जीविका देती इस गंगा का सागर से मिलन एक बहुत ही दिलचस्प तरीके से होता है दोस्तों। जी हाँ आज मैं आपक... |
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December 29, 2015, 8:53 pm |
चल छैयां छैयां छैयां..... देखा ही होगा आपने कभी न कभी इस गाने के वीडियो को। एक छुक छुक करती ट्रेन पर इसकी थिरकाने वाली धुन कुछ बरसों पहले सभी के जुबाँ पर सुनाई पड़ती थी। जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ ऊटी के नीलगिरि माउंटेन रेलवे या यूँ कहे ऊटी के टॉय ट्रेन की, जो ऊटी से कन्नूर हो... |
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December 23, 2015, 6:42 pm |
देखा ही होगा आपने कभी न कभी इस गाने के वीडियो को। एक छुक छुक करती ट्रेन पर इसकी थिरकाने वाली धुन कुछ बरसों पहले सभी के जुबाँ पर सुनाई पड़ती थी। जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ ऊटी के नीलगिरि माउंटेन रेलवे या यूँ कहे ऊटी के टॉय ट्रेन की, जो ऊटी से कन्नूर होते हुए मेट्टुपलायम तक स... |
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December 23, 2015, 6:42 pm |
बात अगर हसीं वादियों की की जाय तो सिर्फ हिमालयी चोटियाँ ही इनमें शुमार नहीं हैं, बल्कि दक्षिण भारतीय चोटियों का सौंदर्य भी बिल्कुल ही अनूठा है। तमिलनाडु के नीलगिरि पर्वतश्रेणी के ऊटी एवं कन्नूर भी प्रकृति के ऐसे ही सुंदरता का बखान करते हैं। ... |
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December 20, 2015, 5:20 pm |
बात अगर हसीं वादियों की की जाय तो सिर्फ हिमालयी चोटियाँ ही इनमें शुमार नहीं हैं, बल्कि दक्षिण भारतीय चोटियों का सौंदर्य भी बिल्कुल ही अनूठा है। तमिलनाडु के नीलगिरि पर्वतश्रेणी के ऊटी एवं कन्नूर भी प्रकृति के ऐसे ही सुंदरता का बखान करते हैं। कोयंबटूर से 80 किमी की यात्... |
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December 20, 2015, 5:20 pm |
ये शाम मस्तानी.... मदहोश किये जा.... मुझे डोर कोई खींचे … जी हाँ गोवा की शाम कुछ ऐसे ही झूमने और नाचने को मजबूर करेगी आपको। ब्लू पानी, चर्च, कोको ट्री ये सब तो भई दिन के नजारे हैं। यहाँ तो शामें भी काफी नशीली और रंगीन हुआ करती हैं! जैसे ही दिन ढलता है, गोवा डूब जाता है एक अलग ही दु... |
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December 16, 2015, 7:35 pm |
अब अगली सुबह गंगासागर तट पर मैंने देखा की नवम्बर महीना होने के कारण कोई खास भीड़-भाड़ नही है, सिर्फ इक्के-दुक्के लोग ही सागर दर्शन हेतु आये थे, किन्तु मकर संक्रांति में यहाँ लाखों की भीड़ होती है। मैंने पाया की यहाँ तो नदी और सागर दोनों में फर्क कर पाना नामुमकिन था।गंगास... |
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December 10, 2015, 6:46 pm |
कहा जाता है की भारत नदियों का देश है, जिनमें गंगा सर्वप्रमुख है। हिमालयी कंदराओं से उत्पन्न होती, हजारों मोड़ और वलय लेती तथा इसके किनारे बसे शहरों के लाखों-करोड़ों लोगों को जीविका देती इस गंगा का सागर से मिलन एक बहुत ही दिलचस्प तरीके से होता है दोस्तों। जी हाँ आज मैं आपक... |
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December 7, 2015, 8:08 am |
क्या गोवा का नाम सुनते ही आपके मन में सिर्फ नारियल पेड़ और समुद्र तटों का ही ख्याल आता है? गोवा का एक अन्य ऐतिहासिक पहलु भी है जिसे आप वहां की गिरिजाघरों और स्मारकों में महसूस कर सकते हैं। लगभग 450 वर्षों तक पुर्तगाली साम्राज्य रहने के यहाँ अनेक गवाह मौजूद हैं।फोर्ट अगोड़ा:... |
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November 29, 2015, 6:00 pm |
तो खैर ट्रेन की हेराफेरी के बाद पहली उड़ान के दम पर हम मुंबई आये और बस मार्ग से गोवा की ओर रवाना हुए। पुरे रास्ते भर नारियल पेड़ों का सौंदर्य और हरियाली देखकर तो चित्त प्रसन्न हो उठा। मन ही मन इन्ही नारियल पेड़ों को देखकर गोवा की एक काल्पनिक छवि दिलो-दिमाग में उभर कर आ रही थ... |
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November 20, 2015, 9:18 pm |
आज मैं आपसे बयाँ करने जा रहा हूँ एक ऐसी जमीनी हेराफेरी की, जिसने हमें पहली बार आसमान में उड़ने का मौका दिया। तो दिन था सोमवार 20 फ़रवरी 2011, हमें जाना था मुंबई होते हुए गोवा। जमशेदपुर से हावड़ा मुंबई मेल ट्रेन पकड़ने के लिए मैं और मेरे सहयात्री अरुण, दोनों को सुबह सुबह टाटान... |
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November 13, 2015, 10:07 pm |
आज का यह लेख तो आपको जरूर कुछ न कुछ नया आजमाने को विवश कर ही देगा। बस और ट्रेन में सफर तो लोग हर रोज करते होंगे, लेकिन इस सफर में ऐसा क्या है भला? आखिर ऐसा क्या अलग लिखने जा रहा हूँ मैं, एक नदी की धाराओं संग बहे कुछ यादगार लम्हों को साझा करने जा रहा हूँ। कुछ ही दिन पहले मैंने... |
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November 11, 2015, 2:35 pm |
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