बिहार में सत्ता की दूसरी पारी खेल रही नीतीश सरकार की प्राथमिकता सूची में जो शब्द सबसे ऊॅचा स्थान रखता है, वह है शिक्षा। प्राथमिकता सूची में यह शब्द सबसे ऊपर इसलिए है, क्योंकि वास्तविकता में यह सबसे नीचे है। सरकार ने सूबे में शिक्षा का स्तर ऊंचा करने के लिए अपने तरीके से... |
|
|
February 8, 2013, 9:58 pm |
धर्म व संस्कृति से जुड़ाव, किसी भी राष्ट्र का मूल मंत्र, मूल आधार है। यह उन नागरिकों के चरित्र निर्माण का भी मूल आधार है, जिनके कंधों पर खड़ा होकर कोई राष्ट्र विकास की सीढि़यां चढ़ता है। वर्तमान समय में, जब राष्ट्र का विकास सभी सरकारों के एजेंडे में शामिल है, भूलवश नागरि... |
Tag :धर्म संस्थापनार्थाय
|
|
January 11, 2013, 8:06 pm |
|
|
October 22, 2012, 9:41 pm |
मोहब्बत कर मौत के अंजाम तक पहुंची सूब्बी- फाइल फोटोसारण जिले के बनियापुर थाना क्षेत्र के नगडीहा गांव निवासी शशिशेखर गिरि ने अपनी पुत्री की हत्या महज इसलिए कर दी क्योंकि उसने पड़ोसी गांव के दूसरी जाति के एक लड़के से मोहब्बत की थी। इंटर की छात्रा सूब्बी की लाश रि... |
|
|
September 3, 2012, 1:26 pm |
प्रेम, योग, ज्ञान, शक्ति...। श्रीमदभागवत गीता के उपदेशकर्ता भगवान श्रीकृष्ण की महिमा-बखान को हमारे पास शब्द नहीं परंतु हमें यह विश्वास है कि वे हमारी बात बिन कहे ही जान लेंगे। उनके श्रीचरणों में हमारा प्रणाम और आप सभी को जन्माष्टमी की अनंत-अनंत शुभकामनाएं। आपका ,म... |
पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना जी का आज निधन हो गया। उन्होंने कुछ घंटे पहले बांद्रा स्थित अपने घर 'आशीर्वाद' में अंतिम सांस ली। हम कभी उनसे मिले नहीं, इसका गम नहीं। गम तो इस बात का है कि अब हम उनसे कभी मिल भी नहीं सकेंगे। उनकी फिल्म- 'अराधना', 'अमर प्रेम', 'सफर', 'कटी पतंग' ... |
दारा सिंह रन्धावा, जन्म: 19 नवम्बर, 1928 पंजाब, मृत्यु: 12 जुलाई 2012 मुम्बई13 जुलाई को सभी अखबारों की सुर्खियों में जो खबर थी, उसने हमें अंदर तक झकझोर कर रख दिया। स्वीकार नहीं कर पा रहे थे कि ऐसा हो सकता है जबकि हम जानते थे कि यह तो होना ही था। खबर दारा सिंह से संबंधित थी। वे 12 जुल... |
ताड़ना की अधिकारी कामिनी (काल्पनिक)गोस्वामी तुलसीदास की इन दो लाइनों पर अक्सर विवाद होता रहता है- ढोल गवार शुद्र पशु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी। आप पूछेंगे- अभी तो कोई विवाद नहीं? फिर, अभी इस पर चर्चा की क्या आवश्यकता? आपके मन में सहज ही उत्पन्न इस प्रश्न का जव... |
श्रावण के पहले दिन छपरा शहर के धर्मनाथ मंदिर में जलाभिषेक करती श्रद़धालु महिलाऍंसूरज की पहली किरण अभी धरती को स्पर्श करने को मचल ही रही थी, सुबह भी अलसायी-अलसायी-सी थी..। परंतु, आस्था में डूबा जनमानस से अन्य दिनों की तरह आज पूजन-अर्जन के लिए सूर्योदय की प्रतीक्षा भी लंब... |
भारतीय रेलवे का एक स्लोगन है- यात्रा मुस्कान के साथ। जब भी किसी रेलवे स्टेशन पर इस स्लोगन पर हमारी नजर जाती है, अनायास ही मुस्कान तैर जाती है- इस स्लोगन पर। एक तरफ यह स्लोगन और दूसरी तरफ भारतीय रेलवे के यात्रा की सच्चाई। कितना विरोधाभास है? फिर, भी कितने शान से भा... |
आज तस्वीरों में एक तस्वीर देखीजाग उठा बचपन..बचपन की तस्वीर देखते-देखतेतस्वीर में ही खो गया मनयाद नहीं, कब गए स्टूडियोअपनी ही इस तस्वीर पर मुझे संशय हैपर, अम्मा ने बताया है,कि यह नन्हा सा बच्चामेरा बेटा मृत्युंजय हैबचपन में तो था सिर्फ दिल ही,दिमाग कहां था कि ... |
|
|
November 21, 2011, 1:37 pm |
|
|
November 14, 2011, 9:20 pm |
मुम्बई पर हमलाकारगिल में लड़ाईअमेरिका की तर्ज पर भारत द्वारा पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों का सफाया करने की जो चर्चा चल रही है, मेरी समझ में वह सब बिल्कुल बेकार बात है। मुझे लगता है कि हम धीरे-धीरे बड़बोलेपन का शिकार होते जा रहे हैं। हमारी भाषा अधिक आक्रामक होती चल... |
मां की गोदपापा के कंधेआज याद आते हैंबचपन के वो लम्हेरोते हुए सो जानाखुद से बात करते हुए खो जानावो मां का आवाज लगानाऔर खाना अपने हाथों से खिलानावो पापा का डांट लगानाअपनी जिद पूरी करने के लिएनखरे दिखानाक्या वो दिन थे बचपन के सुहानेक्यूं लगते हैं आज सब बेगानेआज जिद भ... |
सम्मानितजन एवं समस्त मित्रों, पवित्र पर्व होली पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं व ढ़ेर सारी बधाई। रंगों का यह त्योहार आपके निजी जीवन में भी खुशियों के रंग भरे दे- यही हार्दिक इच्छा है। प्रेमाकांक्षी,मृत्युंजय... |
तृतीय विश्वयद़ध की प्रबल होती आशंकाएं दुनिया को खौफ के साये में धकेल रही है। आम नागरिकों पर हमले का आरोप झेल रहे व वैश्विक दबाव के आगे अपना सिर नहीं झुकाने वाले लीबिया के राष्ट्रपति मुअम्मर गद़दाफी भले ही दोषी हों, लेकिन उनका दोष सत्ता लोभ तक ही दिखता है। यदि तृती... |
बिहार इन दिनों सुर्खियां बटोरने में देश के बड़े प्रदेशों की कतार में है। भ्रष्टाचार और नैतिक पतन की तरफ बढ़ रहा बिहार शायद अपनी गौरवशाली अतीत को धोने में लगा है। कुछ ही दिनों पहले रूपम पाठक नाम की शिक्षिका ने बिहार के कुछ राजनेताओं के चरित्र को उजागर किया था। अभी इ... |
बिहार में रूपम पाठक ने जो कदम उठाया है उसने बिहार के राजनीतिक नक्षत्र में पाक-साफ बनकर छाये रहे कुछ हवस के भेडि़यों के असली चरित्र को आम नजरों के सामने ला दिया है। इस घटना ने अच्छे चरित्र का ढिंढोरा पीटकर अपनी राजनीति चमकाने वाली भाजपा के उन चेहरों को भी जगजाहिर कर द... |
|
|
January 12, 2011, 1:01 pm |
[ Prev Page ] [ Next Page ]
|
|
|