जो दोस्त यहाँ मुझे पढ़ते रहे हैं उन्हें ये बताना चाहता हूँ कि अब मैं इस ब्लॉग पर नहीं लिखता, अपना ठिकाना बदल कर अब qissonkakona.com कर दिया है. इसीलिए जिन दो चार दोस्तों ने मेरा ये ब्लॉग फ़ॉलो किया है उन सब से अनुरोध है कि वो मुझे qissonkakona.com पर फ़ॉलो कर लें.
धन्यवाद
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November 9, 2017, 7:45 pm |
#दशग्रीवा_रावण_और_मैं (विजयदशमी विशेष)pic via- https://www.artstation.com/artwork/obkaW
कल रात मैं अपना ज़रा सा स्वस्थ बिगड़ने के कारण थोड़ा बेचैन सा था । ऊपर से ये भी सोच मेरे दिमाग को आराम नहीं करने दे रही थी कि कल विजयदशमी है और मुझे उस दुराचारी रावण के लिए कुछ बहुत बुरा लिखना है जिससे मैं असत्य ... |
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September 30, 2017, 12:39 pm |
#यह_रूप_भी_माता_का_ही_है
“बोंदू , जा बेटा कंजकों को बुला ला । रूनझुन बहन यहाँ गयी हैं सब, वहाँ से सबको बुला लाना ।” पूरियों की आखरी घानी निकालते हुए सुमित्रा ने बोंदू से कहा ।
“जा रहे हैं अम्मा ।” टी वी पर नजरें गड़ाए बोंदू ने कहा ।
“जल्दी जा रे । सब चली गयीं तो शाम ... |
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September 29, 2017, 7:58 pm |
बड़े झा साहब, कष्ट से मुक्त हुए दो साल होगये आज
“भईया कोनो उपाए बताऊ, पप्पा के मियाज खास क के मंगले के ख़राब होई अ ।”
“भाई हम मौसा के जन्मपत्री देखले रहली अ, हुनकर मंगल नीच है ।”
“त एकर कोनो उपाय होए त कहू ?”
“मौसा से त हम सिखले अछि, उनका लेल हम कोण उपाय बताऊ ।”
“लेकिन आजुक ... |
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September 28, 2017, 8:22 pm |
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” खाना भी नही खानो दोगी तुम ? तरस खाओ मुझ पर | सारा दिन बिज़नस की टेंशन लो, तुम लोगों के लिए कोल्हू का बैल बने रहो और जब कुछ पल चैन के जीने घर आओ तो तुम्हारी किचकिच सुनो । आदमी ही हूँ यार मशीन नहीं |”
” हाँ हाँ मै ही सब करती हूं, तुम दूध के धुले हो | पैसा जीने के लिए कमाया ... |
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September 27, 2017, 7:45 pm |
#साढ़े_तीन_ऑंखें (लंबी कहानी)
रास्ते अलग थे मगर एक ठहराव सा था जहाँ दोनों की साढ़े तीन आँखें अक़सर मिल जाया करती थीं । हाँ, साढ़े तीन ही तो । सबके लिए तो चार थीं मगर मेघा को उसकी बाईं आँख से धुंधला सा दिखता था । इधर धनंजय की दो आँखें और मेघा की दो में से आधी धुंधली यानी डेढ... |
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September 26, 2017, 9:20 pm |
कुछ तुम बदल गए कुछ हम बदल गए
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बहुत कुछ बदल गया…
इन पाँच सालों में…
बड़ा फ़र्क आगया है
तुम्हारे मेरे ख़यालों में
तुम्हे यूँ अचानक देख कर
कुछ पल के लिए दहल गए
इन चंद सालों में
कुछ हम बदल गए…
कुछ तुम बदल गए…
अब तुम्हारे जिस्म से वो..
खुश्बू भी ... |
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September 25, 2017, 9:00 pm |
#हम_गलत_थे_बिटिया (कहानी)
“बाऊ जी हमको और पढ़ना है । हमको बाहार जा लेने दीजिए ।” दस दिन से मुंह फुलाओं के बाद आज आखिर नेहा अपने पिता रघुनाथ जी के आगे बोल ही पड़ी ।
रघुनाथ जी अपनी इकलौती बिटिया से प्रेम तो बहुत करते थे मगर आज कल के माहौल को देखते हुए डरते थे उसे बाह... |
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September 24, 2017, 11:49 pm |
सुनो, कसम है तुम्हे अपनी मर्दानगी की जो इन लड़कियों के साथ खड़े हुए, कसम है तुम्हे अपनी उस गदरायी जवानी कि जो तब तब तुम्हारे अन्दर ऐंठती है जब जब तुम किसी लड़की को टाईट कपड़ों में देखते हो, तुम उन लड़कियों की भीड़ का हिस्सा नहीं बनोगे । छोड़ दो उन्हें अपने हाल पर, बड़ी मुश्क... |
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September 23, 2017, 9:11 pm |
#जय_माँ
आज से शारदीय नवरात्रों का आरंभ हुआ है । भक्ति अपने चरम पर है । आज से हर तरफ़ माता के भक्त माता की पूजा आराधना में लीन नज़र आएंगे । स्त्रीशक्ति का प्रबल प्रतीक हैं ये नवरात्रे । जब हम ब्रह्मा, विष्णु, महेश और उनके अवतारों को सर्वशक्तिमान मान कर उनकी भक्ति में लीन उन... |
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September 22, 2017, 1:30 am |
हम गाँओं हूँ
“सब खाना खाके दारू पी के चले गये, चले गये चले गये ।” सुबह से नीम के स्वाद की तरह ज़ुबान पर लिपटा ये गाना गुनगुनाते हुए किसी शीतल छाया की तलाश में हम अपने खलिहान की तरफ बढ़े चले जा रहा थे । गाने के नाम पर इस कलंक को हम गुनगुनाते हुए खलिहान पहुंचे तो देखे &nb... |
#दूसरी_प्रेमिका (काल्पनिक कहानी)
“क्या मेरे शेर किस बात पर मुंह लटका कर बैठा है ?” शर्मा जी ने अपने पड़ोस में रहने वाले जतिन के सुबह से बंद कमरे का दरवाज़ा खोल कर उसके पास बैठते हुए कहा ।
सुबह काॅलेज गया था जतिन मगर एक एक ही घन्टे में वापिस आ गया और तब से ना जाने क्यों दर... |
#सम्मान_के_इंतज़ार_में
मुझे लिखना है
लिखते जाना है
लिख लिख कर
कर देने हैं ज़िंदगी के सारे काग़ज़
काले नीले और लाल
जीवन के मरन तक
आँसुओं की मुस्कुराहटों तक
रुदन के अटहासों तक
लाशों के अहसासों तक
मुझे सब कुछ लिखना है
और तब तक लिखना है
जब तक मैं पा ना लूँ कई सम... |
#देश_को_अपाहिज_मत_बनाईए
बड़ा दुःख होता है ये देख कर कि कुछ लोगों को लगता है मेरा देश अपाहिज हो गया है । मैं ये कभी नहीं मानता मगर कुछ संदेश, कुछ पोस्ट ऐसे देखता हूँ तो सच में लगता है कि कुछ लोगों ने सच में देश को अपाहिज घोषित कर दिया है ।
आए दिन भारत एक मुस्लिम देश बन जाएगा जै... |
#सरोज_ताई (कहानी)
“ई गुबारा बड़े जिद से मंगवाई थी मनटुनिया । उस दिन तो रोएत रोएत जान देने पे उतारू हो गए रही । कहे जात गुब्बाला लेंगे तभे खाएंगे । एक तो इस गाँव में कछु मिलता भी तो नाहीं । रजना को कितना कहे तब बाजार से ला कर दिया था ई गुबारा ।” सरोज ताई खिड़की के पास खड़ी उस ला... |
हर ‘वो’ जिससे सीखा उन सबको नमन
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“गुरु” लिखने बोलने में छोटा सा शबाद मगर इस शब्द के मायने इतने बड़े हैं कि इसके बिना पूरा ब्रह्माण्ड ही अर्थहीन है । हर वो विशिष्ट व्यक्ति जिसका नाम हम बड़े अदब से लेते हैं उन सबने अपने गुरुओं से ही सीखा और उनके गुरुओं... |
#वो_मुस्कुरा_दिया (काल्पनिक कहानी )
“ऐ साले भाग यहाँ से, दोबारा दिखा तो टांगें तोड़ दूंगा ।” राम किसन हलवाई ने गल्ले पर बैठै बैठे दिन में चौथी बार उसे धमकाते हुए एक समौसा चला कर मारा होगा । आगे से वह भी वो समौसा चुप चाप उठा कर राम किसन के दुकान की सामने वाली पुलिया पर जा बै... |
मिस्टर राॅय कुछ याद करिए, क्या आप दोनों के बीच कोई अनबन हुई या फिर कोई झगड़ा ?” इंस्पैक्टर दिक्षित ने चाय का कप ट्रे में उसी चाय के निशान पर रखते हुए कबीर से ये सवाल किया जहाँ से उन्होंने कप उठाया था ।
“मिस्टर दीक्षित मैं आपसे पहले भी कह चुका हूँ कि हम दोनों के बीच ऐसा कुछ... |
#और_नारीवाद_का_नकली_झंडा_गिर_गया
“दिदिया मेरे पिता जी कह रहे हैं अब आगे मत पढ़ो । ज़्यादा पढ़ लोगी तो हमारी हैसीयत का लड़का मिलना मुश्किल हो जाएगा । क्या आप कुछ कर सकती हैं ।” बी. ए सैकेंड पार्ट की एक बेबस कन्या ने बी.ए थर्ड पार्ट की एक लड़की से कहा ।
“क्या नाम है तेरा ल... |
#दोस्ती (कहानी)
“क्यों बे, आज फिर “भाभी जी” से झगड़ा हुआ क्या ? बोल ना क्या हुआ आज फिर गलिया दी क्या ?” भाभी जी शब्द पर पूरा ज़ोर देते हुए विनय ने काऊंटर पर बैठे माधव को चिढ़ाते हुए कहा और फिर विनय और रौशन दोनों हंसने लगे ।
विनय माधव का इतना जिगरी दोस्त था कि दोनों को ... |
डर
क्लासरूम में बैठा था । साथ में मेरा एक होस्टलर बैठा।था जिसकी उम्र 10 की । पास के कमरे में आवाज़ हुई।वो डर गया । मैं उसके डर को भाँप गया था । उसे ले जा कर पास के कमरे में खड़ा कर दिया , डरता हुआ मेरे पीछे दुबका था मैने दिखाया की हवा से बोर्ड गिरा है । फिर उसे समझाया ” देखो डर ... |
घर के भेदी ( कहानी )
बिसेसर बाबा अपना गाँव भरतपुर के मुखिया चुन लिए गए थे । अब गाँव बहुते बड़े था जिम्मा भी।बड़ा था तो एक तेज तर्रार मुखिया का होना तो लाजमिए । तो बहुमत से बिसेसर बाबा की आ उनकी हाँकी गई बातों की जीत हुई । उनके विपक्ष में था उनके ही चाचा के पोता मने उनका भतीजा... |
प्रेम कहानियाँ पढ़ कर ये आँसू बहाते हैं
सामने कोई किसी के लिए तड़प रहा होता है उसे पागल बताते हैं
बड़ा अजीब है दस्सतूर इन दुनिया वालों का
किसी के प्यार को ना जाने क्यों ये समझ ना पाते हैं
धीरज झा ... |
चलता हूँ
कभी सोचा था
तुम जब साथ रहोगी
तब मौसम की पहली बौझार लिखूँगा ,
फिज़ा में बिखरी बहार लिखूँगा ,
समंदर का किनारा लिखूँगा
जब मिले थे पहली दूसरी दफा वो नज़ारा लिखूँगा
और ये ये भी लिखूँगा किस हद तक पागल थे हम एक दूजे के लिए ,
क्या क्या कोशिशें की एक दूसरे को पाने के लिए ,
कहा... |
सो जाता हूँ अक्सर मैं दिन ढलते ही
ये देर रात तक तो मेरे तड़पते हुए अहसास जगते हैं ।
धीरज झा ... |
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