कव्वालीआ गई हैं सर्दियाँ सुस्ताइए।बैठकर के धूप में मस्ताइए।।पड़ गई हैं छुट्टियाँ स्कूल की.बर्फबारी देखने को जाइए।बैठकर के धूप में मस्ताइए।।रोज दादा जी जलाते हैं अलाव,गर्म पानी से हमेशा न्हायिए।बैठकर के धूप में मस्ताइए।।रात लम्बी, दिन हुए छोटे बहुत,अब रजाई तानकर स... |
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December 18, 2012, 6:11 pm |
सभी मित्रों कोनवरात्रि कीहार्दिक शुभकामनाएँ!... |
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October 14, 2012, 7:30 pm |
काव्यानुवाद (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")टीचर जी!मत पकड़ो कान।सरदी से हो रहा जुकाम।।लिखने की नही मर्जी है।सेवा में यह अर्जी है।।ठण्डक से ठिठुरे हैं हाथ।नहीं दे रहे कुछ भी साथ।।आसमान में छाए बादल।भरा हुआ उनमें शीतल जल।।दया करो हो आप महान।हमको दो छुट्टी का दान।।जल्... |
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January 16, 2012, 3:57 pm |
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September 28, 2011, 10:57 pm |
तू नहीं...तो कोई और भी नही!तेरे बिन...जीकर दिखा देंगे!काँटों पर...चलकर दिखा देंगे!आग में... जलकर दिखा देंगे!जा बेवफा...बेवफाई पे भी तेरी...वफा करके दिखा देंगे!... |
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September 28, 2011, 10:39 pm |
ऐ ज़िन्दगी आजा अब मैदान में...देखें....किसमें कितना है दम?जब तू नहीं कम,तो हम भी नहीं कम!तेरे पास तो-देने के लिए हैं ग़म,हमारे जिगर में-उसे सहने का है दम!माना काँटों भरा है-जीवन का रास्ता,तो फूलों से-क्या रखना वास्ता!!... |
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September 28, 2011, 10:32 pm |
सभी मित्रों को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ..... |
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September 28, 2011, 10:04 pm |
खटीमा (उत्तराखण्ड)दिनांक-17.04.2011समय- रात्रि 8.453 घण्टे तक भयंकर आँधी चलती रहीइतने लम्बे समय तक आँधी कभी नहीं आयी। गेहूँ के खेत जलकर भस्मीभूत हो गये। दो मंजिले की छत पर भीखेतों में लगी आग की गरमीहम अनुभव कर रहे थे। खटीमा, टनकपुर तथा मिलिट्री कैंट बनबसा सेफायरब्रिगेड की गाड... |
खटीमा में 9 जनवरी को सम्पन्न हुएब्लॉगर्स सम्मेलन की गूँजसाप्ताहिक समाचार पत्र में भी सुनाई दी!दैनिक जागरणअमर उजाला दैनिक... |
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January 13, 2011, 10:08 am |
लोकार्पण समारोह एवं ब्लॉगर्स मीट सम्पन्न>> रविवार, ९ जनवरी २०११खटीमा। साहित्य शारदा मंच के तत्वावधान में डा0 रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ की सद्यःप्रकाशित दो पुस्तकों क्रमशः सुख का सूरज (कविता संग्रह) एवं नन्हें सुमन (बाल कविता का संग्रह) का लोकार्पण समारोह एवं ब्लॉ... |
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January 10, 2011, 6:40 am |
"नववर्ष-2011 की शुभकामनाएँ!"... |
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January 1, 2011, 12:03 am |
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November 3, 2010, 6:36 pm |
मेरे शहर खटीमा में देखिए!बाढ़ का दृश्य-... |
(श्रीमती रजनी माहर)तबरुपये किलो था आटा,अब है कितना घाटा,नानी संग जाती बाजार, नौ रुपये किलो था अनार,एक रुपये में दो किलो ज्वार,गेहूँ चावल की भरमार,कम मिलती थी बहुत पगार,कभी न होते थे बीमार,तन चुस्त थेमन दुरुस्त थे,थोड़े मेंसब लोग मस्त थे,दूध-दही सब कुछ था शुद्धवातावर... |
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January 26, 2010, 1:49 pm |
चापलूसी की अदा हमे आती नही. धोखे हम ने किसी को दिए ही नही. आईना पर परदा डालने की अदा हमे आती नही. उनको जो आयना दिखलाया हमने देख अस्क अपना नफ़रत करने हमसे लगे झूठ पर परदा डालने की अदा हमें आती नही. सच जो उनसे कहा हमने नफ़रत करने हमसे लगे पाप करने की अदा हमें आती नही. पुण्य के रा... |
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January 16, 2010, 9:45 am |
नव-वर्ष 2010 आप सबको मंगलमय हो!डॉ.इन्द्र देव माहर,श्रीमती रजनी माहरनन्दिनी एवं पल्लवी... |
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December 31, 2009, 5:46 pm |
!! मुक्तक !!जीवन के झंझावातों में,अब तक इतना उलझा था मैं,प्रीत-रीत मर्यादाओं के, बन्धन ने इतना घेरा था!जीवन के पग-पग पर मैंने, सारे जग को अपना जाना,आँख खुली तो बोध हुआ, दुनिया मे सब तेरा-मेरा था!!... |
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October 31, 2009, 8:05 pm |
भूल चुके हैं आज सब, ऊँचे दृष्टिकोण,दृष्टि तो अब खो गयी, शेष रह गया कोण।शेष रह गया कोण, स्वार्थ में सब हैं अन्धे,सब रखते यह चाह, मात्र ऊँचे हो धन्घे।कह मयंक उपवन में, सिर्फ बबूल उगे हैं,सभी पुरातन आदर्शो को, भूल चुके हैं।... |
मेरी गुड़िया जब से,मेरे जीवन में आयी हो।सूने घर आँगन में मेरे, नया सवेरा लायी हो।पतझड़ में बन कर बहार,मेरे उपवनमें आयी हो।गुजर चुके बचपन को मेरे, फिर से ले आायी हो।सुप्त हुई सब इच्छाओ को, तुमने पुनः जगाया।पानी को मम कहना, मुझको तुमने ही सिखलाया।तुमने किट्टू को तित्तू ,त... |
जिन्दगीजिन्दगी धूप ही धूप है, छाँव का नाम-औ-निशां नही।जिन्दगी एक पतझड़ है, बसन्त का नाम-औ-निशां नही।जिन्दगी सेज है काँटों की,जहाँ फूलों का नाम-औ-निशां नही।जिन्दगी आँसुओं का सैलाब है,यहाँ मुस्कान का नाम-औ-निशां नही।जिन्दगी निराशा का नाम है,यहाँ आशा का नाम-औ-निशां नही।जिन... |
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February 23, 2009, 4:55 pm |
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