रोज सवेरे मैं उठ जाता।कुकड़ूकूँ की बाँग लगाता।।कहता भोर हुई उठ जाओ।सोने में मत समय गँवाओ।।आलस छोड़ो, बिस्तर त्यागो।मैं भी जागा, तुम भी जागो।।पहले दिनचर्या निपटाओ।फिर पढ़ने में ध्यान लगाओ।।अगर सफलता को है पाना।सेवा-भाव सदा अपनाना।।मुर्गा हूँ मैं सिर्फ नाम का।से... |
Tag :मुर्गा हूँ मैं सिर्फ नाम का
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October 30, 2018, 8:36 am |
हनुमानगढ़ (राजस्थान) से प्रकाशित पत्रिका "पारसमणि"में मेरी बालकविता "पाठशाला" का राजस्थानी में अनुवाद प्रकाशित हुआ है।अनुवादक है पं. दीनदयाल शर्मा।... |
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September 1, 2014, 7:17 am |
अपनी बालकृति "हँसता गाता बचपन"सेबालकविता"मैं भी जागा, तुम भी जागो"रोज सवेरे मैं उठ जाता।कुकड़ूकूँ की बाँग लगाता।।कहता भोर हुई उठ जाओ।सोने में मत समय गँवाओ।।आलस छोड़ो, बिस्तर त्यागो।मैं भी जागा, तुम भी जागो।।पहले दिनचर्या निपटाओ।फिर पढ़ने में ध्यान लगाओ।।अगर सफलत... |
मित्रों।फेस बुक पर मेरे मित्रों में एक श्री केवलराम भी हैं। उन्होंने मुझे चैटिंग में आग्रह किया कि उन्होंने एक ब्लॉगसेतु के नाम से एग्रीगेटर बनाया है। अतः आप उसमें अपने ब्लॉग जोड़ दीजिए। मैेने ब्लॉगसेतु का स्वागत किया और ब्लॉगसेतु में अपने ब्लॉग जोड़ने का प्रय... |
अपनी बालकृति "हँसता गाता बचपन"सेबालकविता"कच्चे घर अच्छे रहते हैं"सुन्दर-सुन्दर सबसे न्यारा।प्राची का घर सबसे प्यारा।।खुला-खुला सा नील गगन है।हरा-भरा फैला आँगन है।।पेड़ों की छाया सुखदायी।सूरज ने किरणें चमकाई।।कल-कल का है नाद सुनाती।निर्मल नदिया बहती जाती।।तन-मन ... |
अपनी बालकृति "हँसता गाता बचपन"सेबालकविता"सुराही""पानी को ठण्डा रखती है,मिट्टी से है बनी सुराही।बिजली के बिन चलती जाती,देशी फ्रिज होती सुखदायी।।छोटी-बड़ी और दरम्यानी,सजी हुई हैं सड़क किनारे।शीतल जल यदि पीना चाहो,ले जाओ सस्ते में प्यारे।।इसमें भरा हुआ सादा जल,अमृत ज... |
मेरे काव्य संग्रह "धरा के रंग"सेएक गीत सुनिए..."ठोकर से छू लो हमें.."अर्चना चावजी के स्वर मेंआप इक बार ठोकर से छू लो हमें,हम कमल हैं चरण-रज से खिल जायेगें!प्यार की ऊर्मियाँ तो दिखाओ जरा,संग-ए-दिल मोम बन कर पिघल जायेंगे!!फूल और शूल दोनों करें जब नमन,खूब महकेगा तब जिन्दगी का ... |
अपनी बालकृति "हँसता गाता बचपन"से बालकविता"सूअर का बच्चा" गोरा-चिट्टा कितना अच्छा।लेकिन हूँ सूअर का बच्चा।।लोग स्वयं को साफ समझते।लेकिन मुझको गन्दा कहते।।मेरी बात सुनो इन्सानों।मत अपने को पावन मानों।।भरी हुई सबके कोटर में। तीन किलो गन्दगी उदर में।।श्रेष... |
अपनी बालकृति "हँसता गाता बचपन"से बालकविता"झूला झूलें"आओ अब हम झूला झूलें।खिड़की-दरवाजों को छू लें।।मिल-जुलकर हम मौज मनाएँ।जोर-जोर से गाना गाएँ।।माँ कहती मत शोर मचाओ।जल्दी से विद्यालय जाओ।।मम्मी आज हमारा सण्डे।सण्डे को होता होलीडे।।नाहक हमको टोक रही क्यों?हम... |
अपनी बालकृति"हँसता गाता बचपन"सेमाँ को नमन करते हुए!आज यह बालकविता पोस्ट कर रहा हूँ!माता के उपकार बहुत,वो भाषा हमें बताती है!उँगली पकड़ हमारी माता,चलना हमें सिखाती है!!दुनिया में अस्तित्व हमारा,माँ के ही तो कारण है,खुद गीले में सोकर,वो सूखे में हमें सुलाती है!उँगली पकड़ ह... |
अपनी बालकृति"हँसता गाता बचपन"से"मैना"मैं तुमको मैना कहता हूँ,लेकिन तुम हो गुरगल जैसी।तुम गाती हो कर्कश सुर में,क्या मैना होती है ऐसी??सुन्दर तन पाया है तुमने,लेकिन बहुत घमण्डी हो।नहीं जानती प्रीत-रीत को,तुम चिड़िया उदण्डी हो।।जल्दी-जल्दी कदम बढ़ाकर,तुम आगे को बढ़ती हो... |
अपनी बालकृति"हँसता गाता बचपन"से"खरगोश"रूई जैसा कोमल-कोमल,लगता कितना प्यारा है।बड़े-बड़े कानों वाला,सुन्दर खरगोश हमारा है।।बहुत प्यार से मैं इसको,गोदी में बैठाता हूँ।बागीचे की हरी घास,मैं इसको रोज खिलाता हूँ।।मस्ती में भरकर यहलम्बी-लम्बी दौड़ लगाता है।उछल-कूद करता-... |
अपनी बालकृति"हँसता गाता बचपन"सेतख्ती और स्लेटसिसक-सिसक कर स्लेट जी रही,तख्ती ने दम तोड़ दिया है।सुन्दर लेख-सुलेख नहीं है,कलम टाट का छोड़ दिया है।। दादी कहती एक कहानी,बीत गई सभ्यता पुरानी।लकड़ी की पाटी होती थी,बची न उसकी कोई निशानी। फाउण्टेन-पेन गायब हैं,जेल ... |
अपनी बालकृति "हँसता गाता बचपन"से"भैंस हमारी बहुत निराली" भैंस हमारी बहुत निराली।खाकर करती रोज जुगाली।।इसका बच्चा बहुत सलोना।प्यारा सा है एक खिलौना।।बाबा जी इसको टहलाते।गर्मी में इसको नहलाते।।गोबर रोज उठाती अम्मा।सानी इसे खिलाती अम्मा।गोबर की हम खाद बनाते।खे... |
अपनी बालकृति "हँसता गाता बचपन"से"बिजली कड़की पानी आया" उमड़-घुमड़ कर बादल आये।घटाटोप अँधियारा लाये।।काँव-काँव कौआ चिल्लाया।लू-गरमी का हुआ सफाया।। मोटी जल की बूँदें आईं।आँधी-ओले संग में लाईं।।धरती का सन्ताप मिटाया।बिजली कड़की पानी आया।।लगता है हमको अब ऐसा।मई ... |
Tag :बिजली कड़की पानी आया
अपनी बालकृति "हँसता गाता बचपन"से"रंग-बिरंगे छाते" धूप और बारिश से,जो हमको हैं सदा बचाते।छाया देने वाले ही तो,कहलाए जाते हैं छाते।। आसमान में जब घन छाते,तब ये हाथों में हैं आते।रंग-बिरंगे छाते ही तो,हम बच्चों के मन को भाते।। तभी अचानक आसमान से,मोटी-मोटी बूँदें ... |
अपनी बालकृति "हँसता गाता बचपन"सेबालकविता♥ कद्दू ♥ नेता जैसा कद्दू प्यारा।काशी फल है सबसे न्यारा।।देवालय में त्यौहारों में।कथा-कीर्तन भण्डारों में।।इसका साग बनाया जाता।पूड़ी के संग खाया जाता।।जब बेलों पर पक जाता है।इसका रंग बदल जाता है।।कद्दू होता गोल-गोल... |
अपनी बालकृति "हँसता गाता बचपन"सेबालकविता♥ पतंग ♥नभ में उड़ती इठलाती है।मुझको पतंग बहुत भाती है।।रंग-बिरंगी चिड़िया जैसी,लहर-लहर लहराती है।।कलाबाजियाँ करती है जब,मुझको बहुत लुभाती है।।इसे देखकर मुन्नी-माला,फूली नहीं समाती है।।पाकर कोई सहेली अपनी,दाँव-पेंच दिखला... |
अपनी बालकृति "हँसता गाता बचपन"से"बाल मिठाई" मेरे पापा गये हुए थे,परसों नैनीताल।मेरे लिए वहाँ से लाए,वो यह मीठा माल।।खोए से यह बनी हुई है,जो टॉफी का स्वाद जगाती।मीठी-मीठी बॉल लगी हैं,मुझको बहुत पसंद है आती।।कभी पहाड़ों पर जाओ तो,इसको भी ले आना भाई।भूल न जाना खास चीज है... |
अपनी बालकृति "हँसता गाता बचपन"से"अच्छे लगते बच्चे"बालकविता चंचल-चंचल, मन के सच्चे।सबको अच्छे लगते बच्चे।।कितने प्यारे रंग रंगीले।उपवन के हैं सुमन सजीले।। भोलेपन से भरमाते हैं।ये खुलकर हँसते-गाते हैं।।भेद-भाव को नहीं मानते।बैर-भाव को नहीं ठानते।।काँटों... |
अपनी बालकृति "हँसता गाता बचपन"सेबालकविता"आँगनबाड़ी के हैं तारे" आँगन बाड़ी के हैं तारे।बालक हैं ये प्यारे-प्यारे।। आओ इनका मान करें हम।सुमनों का सम्मान करें हम।। बाल दिवस हम आज मनाएँ।नेहरू जी को शीश नवाएँ।। जो थे भारत भाग्य विधाता।बच्चों से रखते वो नाता।... |
अपनी बालकृति "हँसता गाता बचपन"सेबालकविता"देशी फ्रिज""पानी को ठण्डा रखती है,मिट्टी से है बनी सुराही।बिजली के बिन चलती जाती,देशी फ्रिज होती सुखदायी।।छोटी-बड़ी और दरम्यानी,सजी हुई हैं सड़क किनारे।शीतल जल यदि पीना चाहो,ले जाओ सस्ते में प्यारे।।इसमें भरा हुआ सादा जल,अम... |
अपनी बालकृति "हँसता गाता बचपन"सेस्लेट और तख़्तीसिसक-सिसक कर स्लेट जी रही,तख्ती ने दम तोड़ दिया है।सुन्दर लेख-सुलेख नहीं है,कलम टाट का छोड़ दिया है।। दादी कहती एक कहानी,बीत गई सभ्यता पुरानी,लकड़ी की पाटी होती थी,बची न उसकी कोई निशानी।। फाउण्टेन-पेन गायब हैं,जेल ... |
अपनी बालकृति "हँसता गाता बचपन"सेबालकविता"देशी फ्रिज""पानी को ठण्डा रखती है,मिट्टी से है बनी सुराही।बिजली के बिन चलती जाती,देशी फ्रिज होती सुखदायी।।छोटी-बड़ी और दरम्यानी,सजी हुई हैं सड़क किनारे।शीतल जल यदि पीना चाहो,ले जाओ सस्ते में प्यारे।।इसमें भरा हुआ सादा जल,अम... |
अपनी बालकृति "हँसता गाता बचपन"सेघर भर की तुम राजदुलारीप्यारी-प्यारी गुड़िया जैसी,बिटिया तुम हो कितनी प्यारी।मोहक है मुस्कान तुम्हारी,घर भर की तुम राजदुलारी।।नये-नये परिधान पहनकर,सबको बहुत लुभाती हो।अपने मन का गाना सुनकर,ठुमके खूब लगाती हो।। निष्ठा तुम प्राची ज... |
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