दो दिन पहले यानी 9 अप्रैल 2018 शाम 3:15 बजे हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के नूरपुर में मलकवाल के निकट चुवाड़ी मार्ग पर भयानक हादसा हुआ बजीर राम सिंह पठानिया मेमोरियल स्कूल की बस करीब 200 फीट गहरी खाई में जा गिरी। हादसे में27 बच्चों समेत 30 लोगों की मौत हो गई है जबकि क... |
मन का मंथन [man ka manthan]...
एक प्रश्नवो बेटीईश्वर से पूछती है,क्यों भेजा गयामुझे उस गर्भ में,जहां मेरी नहींबेटे की चाह थी....एक प्रश्नवो बेटी उस मां से पूछती है,"तुम तो मां होक्या तुम भीआज न बचाओगी मुझेइन जालिमों से?.....""एक प्रश्नवो बेटीउस पिता से पूछती है,"क्यों बोझ मान लिया मुझे?मेरे जन्म... |
मन का मंथन [man ka manthan]...
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February 23, 2018, 12:44 pm |
मेरे बचपन के दिनों में,जब होता था हिमपात,जलाकर आती-रात तक आलाव,बैठते थे सब एक साथ....याद आती हैं सबसे अधिकपूस-माघ की वो लंबी रातें,दादा-दाती की कहानियां,बजुरगों की कही सच्ची बातें....अब तो बर्फ के दिनों में भी, आलाव नहीं, आग जलती है,जो कर गये स्थान रिक्त,उनकी कमी खल... |
मन का मंथन [man ka manthan]...
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January 13, 2018, 11:01 am |
13 पौष तदानुसार 26 दिसंबर 1705 को जब देश में मुगलों का शासन था और सरहिंद में सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह के दो मासूम बेटों सात वर्ष के जोरावर सिंघ तथा पाँच वर्ष के फतेह सिंघ को दीवार में जिंदा चुनवाया गया था....कहते हैं कि साहिबज़ादों को कचहरी में... |
मन का मंथन [man ka manthan]...
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December 25, 2017, 11:10 am |
ओ जाते हुए वर्ष,जब तु आया था,जोष था, उमीदे थी,सब ओर हर्ष छाया था....मुझे भी प्रतीक्षा थी तेरी,कई दिनों पहले से ही,अभिनंदन मैंने भी किया था तुम्हारा,उमीद में कुछ नये की....पर तब मैं नहीं जानता था,तु मेरे लिये नया कुछ भी नहीं लाया है,जो तब मेरे पास था,तु उसे मुझसे छीनने आया ह... |
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December 23, 2017, 3:42 pm |
नहीं करते कल्पना जिसकी,जीवन में वो भी घट जाता है,ये कैसे हुआ, क्यों हुआ,आदमी सोचता रह जाता है....नहीं जानता ये मनुज,कल क्या होने वाला है,वो तो अपने हिसाब से,शुभ-शुभ सोचता जाता है.....हमने अलिशान महल को,खंडर होते देखा है,हरे-भरे उपवन को भी,बंजर होते देखा है....होनी तो होकर रहती ह... |
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December 7, 2017, 1:13 pm |
<iframe>ओ श्री राम,तुम्हे त्रेता में भी वनवास मिलाइस कलियुग में भी।वो वनवास चौदह वर्ष के लिये थाये वनवास न जाने कितना लंबा होगा....</iframe><iframe>अगर तुम्हे वनवास न मिलता,अहिलया का उधार कैसे होता,मां शबरी की इच्छा अधूरी रह जाती,न सुगरीव को न्याय मिल पाता,असुरों का विनाश कौन करत... |
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December 4, 2017, 11:37 am |
मेरे भारत में सब के लिये रोटी हैं?न जाने इन बच्चों को भोजन क्यों नहीं मिलता।आंगनबाड़ी स्कूल में,दोपहर का भोजन मिलता है,डिपुओं में निशुल्क भाव में,ससता राषण दिया जाता है,हर गाड़ी के आते ही,क्यों ये हाथ फैलाते हैं,ये गाड़ी से फैंके झूठन से,अपनी भूख मिटाते हैं....ये किस ... |
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November 13, 2017, 4:21 pm |
हम भारत के मत दाता है....हमारे पास मत देने का अधिकारआज से नहीं त्रेता युग से है,हमने तब भीअपना मत दिया था श्रीराम को राजा बनाने के लिये"श्री राम हमारे राजा होंगे"पर श्री राम को वनों में भेजा गयाहमने नहीं पूछातब भी राजा सेहमारे मत के अधिकार का क्या हुआ? हम भारत के मत दाता ह... |
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October 23, 2017, 1:16 pm |
तुम बिन पिताजीअब हम कैसे मनाएंगे दिवालीअपने हाठों से लाई मिठाईखाने में वो आनंद नहीं आएगा....पर इस दिवाली पर भी,हम जलाएंगे दीपककरेंगे प्रकाश,तुम्हारे लिये....हम जानते हैं तुम्हे अपने घर मेंफैला हुआ अंधकारअच्छा नहीं लगेगा...हम ये भी जानते हैं तुम आओगेकिसी न क... |
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October 16, 2017, 6:00 pm |
आज़ादी की 71वीं वर्षगाँठ परपूछता हूं मैं,भ्रष्ट नेताओं सेबिके हुए अधिकारियों से, स्वतंत्रता दिवस परया गणतंत्रता दिवस परतुम तिरंगा क्यों लहराते हो?...तुम क्या जानो तिरंगे का मोल...एक वो थे,जो आजादी के लिये मर-मिटेएक ये हैं,जो आजादी को मिटा रहेनेताओं को चंदा मिल रह... |
मन का मंथन [man ka manthan]...
ओ गुड़िया!तुम ने भी तोहवस के उन दरिंदों से अपनी रक्षा के लिये.द्रौपदी की तरहईश्वर को हीपुकारा होगापर तुम्हे बचाने ....ईश्वर भी नहीं आए....ओ गुड़िया!तुम भी तोउसी देश की बेटी थीजहां बेटियों को देवी समझकर पूजा जाता हैजहां की संस्कृति मेंकन्या ही दुर्गा का रूप है... |
मन का मंथन [man ka manthan]...
[दिनांक 28 जून 2017 को पूजनीय पिता श्री की समृति में जन सेवा के उदेश्य से एक पीने के पानी का नल स्थापित किया गया साथ ही पूजा उपरांत पिता जी की फोटो दिवार पर स्थापित की गयी] ओ पिता जीअब तो तुम भीईश्वर बन गये हो,तभी तोईश्वर की तसवीर के साथतुम्हारी तसवीर भीहार पहनाकरदिवार पर टा... |
मन का मंथन [man ka manthan]...
किसान आज से नहीं,सदियों से आत्महत्या कर रहे हैं,उगाते तो हम अनाज हैं,पर खुद भूखे मर रहे हैं।मैंने एक और किसान कि आत्महत्या के बादआंदोलन कर रही भीड़ केएक बूढ़े किसान से पूछावो किसान क्यों मरा?"बेटा वो मरा नहींआज तो वो जिवित हुआ,मरा तो वो पहले कई बार, एक बार नहीं ... |
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[दिनांक 30 अप्रैल 2017 को मेरे पूजनीय पिता जी श्री ठाकुर ईश्वर सिंह इस भू लोक को त्याग कर चले गये...जीवन में उनकी कठिन तपस्या से ही आज हम सुखद जीवन जी पा रहे हैं....]"हे ईश्वर मेरे पूजनीय पिता जी को....अपने पावन चरणों में स्थान देना...."ओ मेरे पूज्य पिता जी,कल तक मैंखुद ... |
मन का मंथन [man ka manthan]...
शूल की चुभन,बहुत पीड़ा देती है,पर शायदउतनी पीडा नहीं,जितनी फूल की चुभन,....देती है....वो बेटेभूल चुके हैं सब कुछअपने मां-बाप को भी,उन के सप नों को भी,जिन्हे याद है अब ...केवल नशा ...जो माएं मांगती रही दुआलंबी आयु कीअपने बेटों के लिये आज वो भी अपनी दुआ में,....अपनी खुशियांं&nb... |
मन का मंथन [man ka manthan]...
तुम बैठे हो आसन परआज हम शोर मचाएंगे,तुम्हारे अच्छे कामों को भी,मिट्टी में ही मिलाएंगे...तुमने भी यही किया,अब हम भी यही करेंगे,पहले तुमने हमे गिराया,अब फिर तुम्हे गिराएंगे...जंता तो है घरों में बैठी,वो क्या जाने सत्य क्या है,किसी पर झूठे आरोप लगे हैं,कोई दोषी भी ... |
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February 1, 2017, 4:20 pm |
इंडिया-इंडिया कहते-कहते,हम हिंदूस्तान को भूल गये,आजाद हो गये लेकिन फिर भी,अपनी पहचान ही भूल गये।...जलाते हैं दिवाली में पटाखे,खेलते हैं रंगों से होली,याद रहा रावण को जलाना,राम-कृष्ण को भूल गये...नहीं पता अब बच्चों को,बुद्ध, महावीर, गोविंद कौन हैं?मुगलों का इतिहास याद ह... |
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January 28, 2017, 3:31 pm |
जो समझते रहे हमें वोट,हार उन्हे पहनाते रहे,गणतंत्र-दिवस मनाते-मनाते, गणतंत्र का अर्थ, अब जान गये।दिया किसी ने आरक्षण,किसी ने सस्ती दालें दी,खाकर सभाओं में लड्डू,बस तालियां बजाते रहे,गिराकर मंदिर-मस्जिद,बस करा दिये दंगे,उनको तो मिल गया राज,हम व्यर्थ ही खून बहाते रहे।ह... |
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January 27, 2017, 4:00 pm |
इस कड़ाके की सर्दी में,वो इकठ्ठा परिवार ढूंढता हूं। दादा दादी की कहानियां,चाचा-चाची का प्यार ढूंढता हूं...खेलते थे अनेकों खेल,लगता था झमघट बच्चों का,मोबाइल, टीवी के शोर में,बच्चों का संसार ढूंढता हूं...लगी रहती थी घर में,अतिथियों से रौनक,पल-पल सुनाई देती आह... |
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January 18, 2017, 3:40 pm |
हम आए अकेले, इस दुनियां में,न लाए साथ कुछ दुनियां में,शक्स ही रहे तो मर जाएंगे,बनो शक्सियत इस दुनियां में।जो भी मन में प्रश्न हैं,उनका उत्तर गीता में पाओ,जब ज्ञान दिया खुद ईश्वर ने,क्यों भटक रहे हो दुनियां में।जो ज्ञान न मिला भिष्म को,न द्रौण को, न विदुर को,वो ही ज्ञान ... |
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January 13, 2017, 3:33 pm |
नानक के इस धरा पर,हैं गुरु आज, कई हजार,पर नानक सा नहीं है कोई,इसी लिये है अंधकार...जब भूल गये थे गीता को,श्री कृष्ण की अमर कविता को, अन्याय, अधर्म का राज्य था,हो रहा था शोषण जंता का।तब नानक ने गीता समझाई,गुरु ग्रंथ में लिखा सार...कहा था ये दशम गुरु ने,गुरु ग्रं... |
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November 19, 2016, 3:56 pm |
जो बच्चे, मां के साथ हैं,पापा को ढूंढ़ते हैं,जिन के पास, केवल पापा हैं,वो तरसते हैं,मां की ममता को...बच्चों कोआवश्यक्ता होती है,दोनों के प्रेम की,दोनों में से,एक का न होना,बच्चे का सबसे बड़ा दुर्भाग्य होता है...जो माता-पिता,तलाक के लिये,कतार में खड़ें है,वे अपने बच्चों ... |
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October 19, 2016, 3:37 pm |
हम जलाते हैं हर बार,पुतला केवल रावण का,जिसने अपनी बहन के अपमान काबदला लेने की खातिरसीता जी का हरण किया।न स्पर्श किया,न अपमान किया,अशोक-वाटिका में,अतिथि सा मान दिया।हम दशहरे के दिन, भूल जाते हैं,आज के उन रावणों को,जिन्हें न तीन वर्ष की बेटी की,मासूमियत दिखती है,न कौलिज ज... |
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October 11, 2016, 5:29 pm |
इन 32 वर्षों में,सब कुछ बदला है।पर्व, मेले, त्योहार भी,रिति-रिवाज, संस्कार भी।पीपल नीम अब काट दिये,नल, उपवन भी बांट दिये,अब चरखा भी कोई नहीं बुनता,दादा की कहानियां भी नहीं सुनता।मेरा गांव, शहर बन गया,भाईचारा अपनापन गया।पहले घर थे चार,पर नहीं थी बीच में दिवार।अब घर ... |
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September 4, 2016, 12:21 pm |
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