''किस किस की सुरक्षा ''मुकेश अम्बानी जैसे उद्योगपति ,खतरे से नहीं है खाली सरकार हमारी दे रही गाली । उनकी सुरक्षा के लिए सी .आर .पी .ऍफ़ बल शाली ॥ सरकार को चिंता है तो पैसे वालो की ,भाड़ मे जाए दुनियादरी ,लूट रही है जिसकी आबरू ,वो है इस जंहाँ की सारी नारी नारी की सुरक्षा करन... |
Tag :ashish kumar bal kavita
प्राणी जा रहा प्राणी बड़ा ही बंधा हुआ ,साबित होता जा रहा है ..... हर एक प्राणी ,प्राणी के पीछे से जा रहा है .....जो वो कर रहा है,वही करने की वो सोच रहा है ......न उसकी अपनी समझ है ,न ही अपनी सोच है ......जो देख रहा है प्रक्रति और संसार से ,वो वही कर रहा है ......हर एक प्राणी ,प्राणी के पीछे जा रहा ... |
मुकाम पा लिया भोर का समय था ,मैं जा रहा था राहों से .....सून- सान थी सारी जगह ,मैं डर रहा था तम के गर्दिश में .....सहसा चली पवन तीव्रता से ,भागे काले मेघ डरकर ....खिल उठा रवि हंसकर ,मन से निकला मेरे डर .....पवन थी इतनी ठंडी ,ताजगी भर गयी मेरे जीहान में ....आगे बढ़ा तो एक तितली आयी ,आ बैठी मेर... |
क्यों नहीं याद वो भगत का शहीद खून ,वो जवानी झांसी की रानी की ........ जो झकझोर दिया था ,उन गोरे अंग्रेजों को ......लेकिन आज के इस भ्रस्ट समाज में, भ्रस्टाचारियों की है भरमार ......इन भ्रस्टाचारियों से ही ,चल रही है हमारी ......मिली जुली सरकार ,आज के इस भ्रस्ट समाज में ......रह - रहे हैं सभी ए... |
कविता मेरे गाँव की सुनों कहानी ......लाइट के प्रति हो रही मनमानी, कभी रात में लाईट आती है ....तो कभी हमेशा के लिए जाती है, विधुत व्यवस्था है बड़ी ख़राब .....इस पर चलता है केस्को का राज, विधुत से गाव के लोग परेशान ......इसीलिये नहीं है गाँव की शान , ... |
कविता इंसान के लिए हमदर्दी नहीं पत्थर दिल इंसान में , से मरते हैं लोग इस जहांन में .......दुनिया को देखिये चाँद तक पहुंच गयी ,ईश्वर पर अब भी विश्वास करते हन्दुस्तान में .....पड़ोसी चाहे भूंखसे तडपता रहे लेकिन ,फल,दूध आदि पहुचाते हैं ईश्वर के मकान में .....ईश्वर तो लोगों क... |
कविता रोड और क्रासिग पर ,गाडी और मोटर कारों की.......लगी रहती है कतार ,ट्रैफिक पुलिस की बात निराली .......करते हैं अपनी मनमानी ,लगे रहते हैं लोडर ट्रकों से .......रुपयों की वशूली करने ,ट्रैफिक नियमों का ......पालन नहीं कराते ,लोडर ट्रक वालों को है गरियाते....... लेखक : जीतेन्द्र क... |
"मंहगाई"मंहगाई ने आसमान छू डाला , गरीबों को तो भूखा मार डाला .....सब्जी मंहगी, अनाज मंहगा,अब तो हर सामान है मंहगा .....पेट्रोल तो इतना मंहगा हो गया, गाड़ियों में पेट्रोल डलवाना .....कितना ज्यादा मंहगा पड गया ,नया नेता बनाने से ......कुछ बदलाव नहीं आया ,सभी चीजों को मंहगाई ने है खाया ......... |
"ठंडी" इस बार ठण्ड का आया मौसम ।जिससे की सारा शहर गया सहम ।।तूने न पहचान ये तेरा है भ्रम ।सर्दी में बोले हर -हर गंगे हम ।।सूरज न दिखता , ये तेरा है भ्रम ।सर्दी में कोहरे का कोहराम ।।सुन लो बच्चो सुन लो तुम ।छुट्टी में कर लो आराम ।इतना भी न करना आराम ।।कि कोई न द... |
Tag :ashish kumar bal kavita
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February 16, 2013, 9:43 pm |
शीर्षक :- आज की फिल्मे आज की फिल्मे तो आदर्श बनी पड़ी है.... युवा पीढी को भड़काने में | ऐसे अश्लील से शब्द है.... हर किसी न किसी फ़िल्मी गानों में |वर्तमान में फिल्मो का ऐसा पड़ा है, सब पर असर.... कि चारो ओर चल रहा है, फिल्मो का ही कहर | मुन्नी से लेकर शीला की जवानी....हर बच्चे की जुवां पर है,... |
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February 11, 2013, 9:32 pm |
'' दामिनी की आवाज ''मरी नहीं मैं जिन्द्दा हूँ ।सफेद रंग का परिन्द्दा हूँ ।।नाम नहीं कोई मेरा ।न नाम मेरा तुम जानो ।।मेरी धड़कन को सुन लो ।मेरी आवाज को पहचानो ।। इंसाफ चाहिए मुझको ।जो तुम ही दिल सकते हो ।।मैं सो गई तो क्या हुआ ।तुम तो देश को जगा सकते हो ।।दामिनी नाम... |
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January 26, 2013, 9:41 pm |
''बच्ची ''वह ममता की कोमल , कमल की चमेली , +माता ,पिता की ,वह अकेली ।वन सुन्दर एक राजकुमारी थी ।।वह सरजमी की ममता ,वह अनंत की झोली ।वह हिम जैसी सफेदी ,वह सरिता झरना की उद्गम झोली ।वह सुन्दर एक राजकुमारी थी ।।वह बड़े जोर से हँसती थी ।वह सारे सरगम गा चुकी थी , वह दिन... |
Tag :ashok kumar bal kavita
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January 25, 2013, 3:57 pm |
'' चिड़िया का बचपन ''बचपन में मेरे आँगन में ।एक चिड़िया आती थी ।आँगन में बिखरे दानों को ।।चुन - चुन कर खाती थी ।बस ची -ची शोर मचाती थी ।।बच्चा बोल मम्मी से ।अम्मा आटे की बना के गोली ।।दाना रोज चुगाती थी ।यह भी चिड़िया भूखी है ।।यह चोच फैलाकर आती है ।मजबूरी है चिड़िया क... |
Tag :jitendra kumar bal kavita
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January 18, 2013, 9:06 pm |
मेहनतजो मेहनत करते रहते है ।उन्किहार नहीं होती है ।।जिनकी मुट्ठी में है मेहनत ।सच्ची जीत उन्हें मिलती है ।।मेहनत से जो घबराता है ।बे सब से है पीछे रहत।।जो मेहनत करता है वह आगे रहता है ।नाम :अलीजा फात्मा आजमगढ़ , उत्तर प्रदेश ... |
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January 17, 2013, 9:00 pm |
रविवार मेरे दिमाग में है ख़ास - बात ।जो भटक रही है रातो -रात ।।लोग रविवार को छुट्टी क्यों मनाते हैं ।रविवार को ही बाजार क्यों जाते है ।।स्कूल हो या बैंक , कल कारखाना ।रविवार को ही छुट्टी मनान।।लोग शनिवार को हही छुट्टी क्यों नहीं मनाते है ।लोग रविवार को स्कूल क्यों ... |
Tag :mukesh kumar bal kavita
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January 13, 2013, 9:40 pm |
" नव वर्ष के पावन अवसर पर युवाओं के लिए एक प्रेरणादायक कविता "एक था आर .टी .ओ . का दलाल ।शराबी भी था और शौक़ीन भी ।।दलाली का पैसा कमाना जिसका था शगल ।जिसे न परिवार की चिंता थी न समाज की ।।बस रहता था नशे में मस्त ।पर एक दिन की घटना ने जिसकी बदल दी अक्ल ।।फिर आर .टी .ओ . की दलाली से नि... |
Tag :k . am bhai ki kavita
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January 12, 2013, 9:25 pm |
" माँ " तू ममता की झोली है । तेरी महिमा जग में न्यारी है।। तू साथ समुद्र से भी गहरी है । फिर भी तेरी लहरें नहीं ।। तू ममता की झोली है । तेरी महिमा जग में न्यारी है।। तेरे बिना घर गृहस्थी अधूरी है । तू घर की देवी है ।।तू है पीयूष चमन की हरदम । तेरे बिन शोक पवन क... |
Tag :ashok kumar bal kavita
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January 10, 2013, 9:43 pm |
मेरा भारत महान सभी देशो से है महान ।ये है हमारा प्यार हिन्दुस्तान ।।लोग यहाँ पर इसका ,करते खूब गुणगान ।इसकी महानता का जब पता लगाया ।।मैं तब कुछ जान पाया ।घूसखोरी और घोटाला ।यही है इसकी सबसे बड़ी शान ।।बहू ,बेटिओं की न इज्जत होती ।करते है लोग खूब धूम्रपान ।।इन सब के बा... |
Tag :dharmendra bal kavita bal kavitaye
महिला की महिमा तुझे देखते ही ।तेरे पिता ने शीश झुकाया ।।तेरी माँ को गाली देकर ।स्त्री तू भी कितनी निराली ।फिर भी न होती तेरी निगरानी ।।जब तू एक बच्ची थी ।अपने माँ के गर्भ से जन्मी थी ।।घर को दौड़ा आया ।।पूछने पर ,मुरझाया सा जवाब पाया ।माँ को गाली देकर ,बेटा क्यों नहीं ज... |
Tag :ashok kumar bal kavita
चोर चार चोर की हुई सगाई ।चारो थे आपस में भाई ।।चारो एक दिन आये पास ।ये आपस में थे उदास ।।एक चोर ने एक बात बताई ।बोल घर का खर्चा नहीं चलता भाई ।।चारो हुए एक रात इकठ्ठा ।बांध कर लाये अपना -अपना गट्ठा ।।गट्ठे में भरा था सामान।रात में उनको दिखने लगा आसमान ।।रात मे निकले अ... |
Tag :gyan kumar bak kavita
कुछ काम करो इस बार ठण्ड का आया मौसम ।जिससे की सारा शहर गया सहम ।।तूने न पहचाना , यह है तेरा भ्रम ।सर्दी मे भी बोले हर -हर गंगे हम ।।सूरज न दिखता ,यह है तेरा है भ्रम ।सर्दी में कोहरे का दिखता कोहराम ।।सुन लो बच्चो , सुन लो तुम ।।छुट्टी मे कर लो आराम ।इतना भी न करना आराम ।।किन... |
Tag :ashish kumar bal kavita
हुई बहस हुई बहस ,यह कैसी बहस ,जिंदगीसे जुड़ी बहस ,राहों पर है खड़ी बहस ,इन्तजार करती बस एक घड़ी ,बहस हो खड़ी ,बहस से लड़ी ,सुबह सो कर जल्दी उठने की पड़ी ,न तो बहस हो जायेगी खड़ी ,शाम नींदों से भरी ,रात सोने की पड़ी ,ये जिंदगी की घड़ी ,हमको है जीने की पड़ी ,हो हाथो में छड़ी ,बहस दूर हो जाए कड़ी ... |
Tag :hansraaj kumar bal kavita
क्या इसके सिवा कोई काम धंधा नहीं भाई बहनों नहीं के नहीं , बाप बेटी का रहा नहीं ।हवस के इस दौर में , क्या- क्या नहीं ।।दिल, जिगर , जज्बात सब बिक चुका है ।बचाना नहीं इंशा नियत खत्म , हैवान जाग गया है ।।सुरछित नहीं वो , जिसकी जेब मे पैसा नहीं है ।।कितनी दर्दनाक मौत हुई उन मासूम... |
Tag :dharmendra bal kavita bal kavitaye
ग्रामीण महिला और अधूरे सपने एक अदद जहाँ घूमने की आजादी मिल जाए अगर ।सपनो की दुनिया बसाने की एक राह मिल जाए अगर ।।अपने न भी हो तो कम से कम अपनों का साया मिल जाए अगर ।रिस्तो का परिवार न सही बस जिंदगी जीने का एक बहाना मिल जाए अगर ।।भूखे पेट को भोजन न सही कम से कम अन्न का ... |
Tag :k . am bhai ki kavita
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December 24, 2012, 8:39 pm |
रात हमारी अगर न होती रात हमारी ।।हमको दिखता उजाला ही उजाला ।अगर न होता सूरज दिन को ।कैसे चमकता हमारा वातावरण ।।पर्वत न होते ऊँचे - ऊँचे ।तो इसको पहाडो से बहाता कौन ।। अगर न होती रात हमारी ।।तो उजाला हमको दिखाता कौन ।रात को तारे चमकते है सारे ।दिखने में लगते चाँद सित... |
Tag :jitendra kumar bal kavita
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December 22, 2012, 9:42 pm |
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